बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। सिलाव प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत नानंद में आज एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने गांव का निरीक्षण करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसी गति पकड़ने को कहा कि मानो वे ‘फॉर्मूला वन’ रेस में हिस्सा लेने वाले हों। वजह? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संभावित दौरे की खबर।
गांव में हर तरफ हरियाली और सफाई का अचानक उत्सव मनाया जा रहा है। धूल-धूसरित सड़कों पर चूना गिराकर ‘मिल्की वे’ बनाने का प्रयास हो रहा है और तालाबों को देखकर ऐसा लग रहा है कि इन्हें हाल ही में ‘स्पा ट्रीटमेंट’ दिया गया हो। स्थानीय लोग हंसी-हंसी में इसे प्रशासन का ‘सौंदर्य प्रतियोगिता’ करार दे रहे हैं।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने तालाब का जीर्णोद्धार देखा और इसकी तारीफ की, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यह वही तालाब है। जिसमें पिछले महीने बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे। अब इसमें पानी भर दिया गया है और किनारों पर चमचमाते पत्थर लगाए गए हैं। ग्रामीण बुजुर्ग रामनारायण कहते हैं कि यह तालाब भी शायद मुख्यमंत्री को देखकर पानी-पानी हो जाएगा।
जिलाधिकारी के साथ उपस्थित अन्य अधिकारी, जैसे- उप विकास आयुक्त और नगर आयुक्त कार्यों की सूची लेकर दौड़ते-भागते नजर आए। नवनिर्मित पुस्तकालय की पेंटिंग से लेकर चिल्ड्रेन पार्क के झूलों को चमकाने तक हर जगह काम में तेजी दिख रही है। बिजली की तारों पर पुराने पक्षियों के घोंसले हटाकर नए पोल खड़े कर दिए गए हैं।
गांव में हरी घास की पट्टी बिछाने का कार्य जोरों पर है। कुछ ग्रामीण इसे देखकर हैरान हैं। रमेश कुमार नामक एक किसान ने पूछा कि हमारे खेतों में घास सूखी पड़ी है और यहां सड़क पर बिछाने के लिए घास आ गई! क्या मुख्यमंत्री जी इसी पर बैठकर आराम करेंगे?”
जब ग्रामीणों से पूछा गया कि इस ‘प्रगति यात्रा’ से उन्हें क्या उम्मीदें हैं तो एक महिला बोलीं, “अगर मुख्यमंत्री हर महीने हमारे गांव आएं तो शायद हमारा गांव शहरी मॉल बन जाए। बस उनके आने की खबर ही हमारी किस्मत चमका देती है।”
प्रशासनिक अधिकारियों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि कहीं मुख्यमंत्री किसी ‘बदहाल’ हिस्से को देख न लें। इसलिए हर गड्ढे को भरने और हर कोने को चमकाने का प्रयास किया जा रहा है। “अगर उन्होंने किसी खंडहर को देखकर टिप्पणी कर दी, तो हमारा ट्रांसफर पक्का है,” एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।
नानंद गांव में मुख्यमंत्री के आगमन से पहले यह ‘प्रगति यात्रा’ असल में प्रशासन की ‘प्रदर्शन यात्रा’ बन गई है। स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस ‘दौरे’ से उनके गांव की स्थायी स्थिति में सुधार होगा। लेकिन फिलहाल यह पूरा आयोजन व्यंग्य और हंसी-ठिठोली का विषय बना हुआ है।
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