बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के मखाना किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। केंद्रीय बजट में बिहार में मखाना बोर्ड (Bihar Makhana Board) के गठन को मंजूरी मिल गई है। इससे मखाना के उत्पादन और व्यापार को जबरदस्त रफ्तार मिलेगी। इस कदम से न केवल राज्य में मखाना की खेती और प्रोसेसिंग को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिहार के मखाना को एक नई पहचान भी मिलेगी।
मखाना उत्पादन का गढ़ बिहार देश में मखाना उत्पादन में अव्वल स्थान पर है। वर्तमान में राज्य में कुल 38,326 हेक्टेयर में मखाना की खेती हो रही है। जिससे हर साल लगभग 25 हजार टन मखाना का उत्पादन होता है। दिलचस्प बात यह है कि बिहार दुनिया के कुल मखाना उत्पादन का 80 फीसदी हिस्सा अकेले प्रदान करता है। बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, मधेपुरा और खगड़िया जैसे जिले इस उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
बीते कुछ वर्षों में बिहार में मखाना उत्पादन में जबरदस्त उछाल आया है। वर्ष 2012-13 में केवल 13 हजार हेक्टेयर में मखाना की खेती होती थी और कुल उत्पादन 9360 टन था। लेकिन 2021-22 तक खेती का क्षेत्रफल बढ़कर 35 हजार हेक्टेयर हो गया और उत्पादन 23,500 टन तक पहुंच गया। अब 2024 में यह आंकड़ा 38,326 हेक्टेयर तक पहुंच गया है और उत्पादन 25 हजार टन से अधिक हो चुका है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पिछले दशक में मखाना उत्पादन में 170 फीसदी की वृद्धि हुई है।
मखाना बोर्ड से क्या होंगे फायदे? मखाना के उत्पादन को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ाने और आधुनिक प्रोसेसिंग तकनीकों को अपनाने में सहायता मिलेगी। मखाना किसानों को उनके उत्पाद के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध होंगे और निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
वहीं किसानों को संगठित कर उन्हें अधिक आर्थिक लाभ दिलाने के लिए एफपीओ बनाए जाएंगे। बोर्ड किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं और अनुदानों का सीधा लाभ दिलाने में सहायक होगा। किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और मखाना की उन्नत खेती के तरीकों पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
वर्तमान में बिहार से लगभग 1,000 टन मखाना का निर्यात किया जाता है। मखाना बोर्ड बनने के बाद यह आंकड़ा कई गुना बढ़ सकता है। इससे बिहार की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि मखाना बोर्ड का गठन कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि बिहार को एक वैश्विक कृषि उत्पादक हब बनाने में भी मदद मिलेगी।
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