बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक व प्रशासनिक सूचनाओं को डिजिटल रूप से अपडेट करने वाली यू डायस प्लस इंट्री (U Dias Plus Entry) की धीमी प्रगति को लेकर राज्य सरकार सख्त हो गई है।
राज्य परियोजना निदेशक योगेंद्र सिंह ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए नालंदा समेत 20 जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्हें तीन दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है। अन्यथा विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 16 जिलों में यू डायस प्लस इंट्री फीसदी से कम हुई है। इससे राज्य की शिक्षा नीति और बजट निर्माण की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। 9 जिलों में अब भी लगभग 6000 इंट्री लंबित हैं। जबकि 10 जिलों के 40 से अधिक स्कूलों ने अपनी इंट्री अधूरी छोड़ दी है।
कम इंट्री वाले जिलों की सूची में नालंदा, अररिया, औरंगाबाद, कटिहार, गया, भोजपुर, शेखपुरा, पूर्णिया, गोपालगंज, पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, रोहतास, अरवल, किशनगंज और जहानाबाद शामिल हैं। नालंदा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। यहां महज 86.63 फीसदी इंट्री हुई है। जिससे यह जिला 36वें स्थान पर पहुंच गया है।
यू डायस प्लस पर सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों में शिवहर (94.54 फीसदी) पहले स्थान पर है, जबकि मधुबनी (94.25 फीसदी) दूसरे स्थान पर है। नालंदा एक ऐतिहासिक और शैक्षणिक रूप से समृद्ध जिला माना जाता है। यहां का 36वें स्थान पर खिसकना चिंता का विषय है।
बता दें कि यू डायस प्लस रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य और केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा बजट तैयार किया जाता है। इसमें सरकारी स्कूलों की भौतिक संरचना, छात्रों की उपस्थिति, शिक्षकों की संख्या, संसाधनों की उपलब्धता जैसी अहम जानकारियां दर्ज की जाती हैं। इसकी सुस्त प्रगति से शिक्षा नीति निर्माण में बाधा आ सकती है।
राज्य परियोजना निदेशक ने स्पष्ट किया है कि अगर निर्धारित समय सीमा में संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो संबंधित डीईओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इस चेतावनी के बाद संबंधित जिलों में हलचल तेज हो गई है और स्कूल प्रशासन जल्द से जल्द इंट्री पूरी करने में जुट गया है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि नालंदा और अन्य जिले इस चेतावनी के बाद कितनी तेजी से अपनी यू डायस प्लस इंट्री को दुरुस्त कर पाते हैं या फिर उन्हें किसी कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।
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