“यह डिजिटलीकरण न केवल भूमि रिकॉर्ड को सुरक्षित रखेगा, बल्कि पारदर्शिता और प्रशासनिक सुगमता को भी सुनिश्चित करेगा। इससे नालंदा जिले में भूमि संबंधी विवादों में कमी आने की भी उम्मीद है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में भूमि सुधार और डिजिटलीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। जिले के सभी अंचलों के कुल 1084 मौजा की जमाबंदी को ऑनलाइन डिजिटाइज्ड कर दिया गया है। इस पहल से अब आम जनता को काफी लाभ मिलेगा। किसानों और रैयतों को अपनी जमीन से जुड़ी जानकारी के लिए अब अंचल कार्यालयों के चक्कर कम लगाने पड़ेंगे।
अब जमीन की सारी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी। जिसमें रैयत का नाम, भूमि का रकवा, भूमि का प्रकार, नक्शा और रसीद की जानकारी भी सम्मिलित है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
डिजिटल जमाबंदी की एंट्री और सत्यापन की प्रक्रिया को तीन स्तरों पर पूरा किया जा रहा है। अंचल स्तर पर राजस्व कर्मियों द्वारा प्रारंभिक सत्यापन किया जाता है। अंचल अधिकारी द्वारा दस्तावेजों की जांच की जाती है। अंतिम सत्यापन जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा किया जाता है। इसके बाद ही जमाबंदी को पूर्ण रूप से डिजिटल रूप में स्वीकृत किया जाता है।
नालंदा की डिजिटल रिकॉर्ड के अनुसार यहां कुल 1084 मौजा में 970 ग्रामीण और 114 शहरी क्षेत्र शामिल हैं। इन मौजों में कुल 5252 वॉल्यूम की एंट्री हुई है। इसमें 5134 वॉल्यूम की सत्यापन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। नालंदा जिले में कुल 772004 जमाबंदी रिकॉर्ड हैं। इनमें से 759086 जमाबंदी को राजस्व कर्मचारियों द्वारा सत्यापित किया जा चुका है। अंचलाधिकारियों ने अब तक 756937 जमाबंदी का सत्यापन कर दिया है।
बहरहाल कहा जा रहा है कि इस प्रक्रिया से अब रैयतों को अपनी भूमि की जानकारी ऑनलाइन मिलने से अंचल कार्यालयों में लंबी कतारों से मुक्ति मिलेगी। डिजिटल रिकॉर्ड सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी अंचल के राजस्व अधिकारी और अंचल निरीक्षक को दी गई है।
- अब बेहद रोमांचक होगा राजगीर-कोडरमा रेल सफर, घने जंगलों और सुरंगों से गुजरेगी ट्रेन
- चमकी बुखार को लेकर हाई अलर्ट जारी, ऐसे करें बचाव
- पटना HC का बड़ा फैसला: JE पद के लिए BTech डिग्रीधारी अयोग्य
- बिहार में बनेंगा माडर्न डिजिटल कृषि निदेशालय, जानें खासियत
- बेंच-डेस्क खरीद घोटाला: HM की शिकायत पर DDC ने गठित की जांच टीम