बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में एक के बाद एक प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक कांड (Paper leak case) से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की जांच में जुटी ईओयू (EOU) पर सवाल खड़े हो गए हैं। बीपीएससी, सिपाही बहाली, शिक्षक भर्ती, नीट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में धांधली का कुख्यात मास्टरमाइंड संजीव मुखिया अभी भी बिहार पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
राज्य की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने उसकी संलिप्तता की पुष्टि कर दी है और न्यायालय से 15 दिन पहले ही उसके खिलाफ वारंट जारी हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद संजीव मुखिया की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है। जांच एजेंसियों की तमाम कोशिशों के बावजूद वह कानून के शिकंजे से बचता फिर रहा है।
नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड स्थित बलवापर गांव का निवासी संजीव मुखिया लंबे समय से कानून से बचता आ रहा है। बिहार पुलिस और इओयू की टीम ने उसे पकड़ने के लिए नालंदा स्थित उसके घर और संभावित ठिकानों पर कई बार छापेमारी की लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी।
सूत्रों के अनुसार संजीव मुखिया फिलहाल राज्य से बाहर नेपाल में शरण लिए हुए है। इस दौरान वह कई बार पटना और नालंदा में अपना घर आता-जाता रहा है। लेकिन इसकी भनक पुलिस को नहीं लग पाई। अगर अब वह जल्द ही गिरफ्तार नहीं होता या आत्मसमर्पण नहीं करता है तो पुलिस उसके घर की कुर्की जब्ती की कार्रवाई शुरू कर सकता है।
संजीव मुखिया का बेटा डॉ. शिव उर्फ शिव कुमार पहले ही सिपाही बहाली परीक्षा पेपर लीक मामले में जेल में बंद है। बताया जा रहा है कि पिता-पुत्र की जोड़ी ने मिलकर परीक्षा में धांधली और पेपर लीक का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर रखा था।
संजीव मुखिया पहले नूरसराय वनिकी कॉलेज में तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत था। इसी दौरान उसने अपने प्रभाव और संपर्कों का इस्तेमाल कर परीक्षा माफियाओं का एक मजबूत गिरोह बना लिया। आर्थिक अपराध इकाई ने पहले भी उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था और उसकी संपत्तियों की जांच की थी।
पुलिस की कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। कई सूत्रों का कहना है कि संजीव मुखिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। जिसके चलते उसकी गिरफ्तारी में देरी हो रही है। पटना से लेकर दिल्ली तक सत्तारूढ़ दलों के कुछ बड़े नेताओं का हाथ उसके सिर पर बताया जा रहा है। जिसके कारण जांच एजेंसियों पर भी दबाव बना हुआ है।
हालांकि इओयू के अधिकारियों के अनुसार अगर एक महीने के भीतर संजीव मुखिया की गिरफ्तारी नहीं होती है तो उसके खिलाफ इश्तेहार जारी किया जाएगा और कानूनी प्रक्रिया के तहत कुर्की-जब्ती की कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे मामले ने बिहार में परीक्षाओं की निष्पक्षता और कानून व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता खड़ी कर दी है। अब देखना होगा कि बिहार पुलिस इस फरार मास्टरमाइंड को कब तक पकड़ पाती है या फिर यह मामला भी अन्य अपराधियों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
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