अद्भुत,अकल्पनीय, अविश्वसनीय खोज -: पं० भरत उपाध्याय

हम सबने सुना है और फोटो में देखा है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग के ऊपर लेटे हुए हैं। लेकिन,कोई नहीं जानता था कि आखिर ये क्षीर सागर है कहाँ.. कोई कैस्पियन सागर को क्षीर सागर बताता था तो कोई अटलांटिक महासागर के झाग को क्षीर सागर बताता था..तो, कोई कैलाश पर्वत के पास क्षीरसागर की मौजूदगी बताते थे। लेकिन, यह जानकर आपके हैरानीकी सीमा नहीं रहेगी कि…. नासा के खगोलविदों ने अंतरिक्ष में तैरतेहुए एक विशाल महासागर की खोज कीहै जो पृथ्वी के सभी महासागरों से करोड़ो गुणा बड़ा है जिसमें पृथ्वी पर मौजूद कुलपानी से 140 ट्रिलियन गुणा अधिक पानी है।
(1 ट्रिलियन = 1 लाख करोड़) अतरिक्ष में पानी का ये असीमित
महासागर हमारी पृथ्वी से लगभग 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर है।
(1 प्रकाशवर्ष = 1 साल में प्रकाशजितनी दूरी तय कर पाती है)जहाँ यह सैकड़ों प्रकाश-वर्ष के क्षेत्र में फैला हुआ है।
जिसकी खोज खगोलविदों की दो टीमों ने की है… इस महासागर को क्वासर के गैसीय क्षेत्र में खोजा गया है…
जो एक ब्लैक होल द्वारा संचालितआकाशगंगा के केंद्र में एक शानदार कॉम्पैक्ट क्षेत्र है। हालांकि,यह विशेषज्ञों के लिए
आश्चर्य की बात नहीं है… लेकिन, इससे पहले कभी भी
पानी की खोज नहीं की गई थी। क्वासर से प्रकाश (विशेष रूप से,लिंक्स नक्षत्र में एपीएम 08279+ 5255 क्वासर)
को पृथ्वी तक पहुंचने में 12 अरब वर्ष लगे l जिसका अर्थ है कि पानी का यह द्रव्यमान उस समय से अस्तित्व में है जब ब्रह्मांड केवल 1.6 अरब वर्ष पुराना था। इसके लिए एक टीम ने हवाई में कैल्टेक सबमिलिमीटर वेधशाला में जेड-स्पेक उपकरण
का इस्तेमाल किया। जबकि दूसरे ने फ्रांसीसी आल्प्स में पठार डी ब्यूर इंटरफेरोमीटर का इस्तेमाल किया। ये सेंसर मिलीमीटर और सबमिलीमीटर तरंग दैर्ध्य का पता लगाते हैं l जिससे, प्रारंभिक ब्रह्मांड में मौजूद गैसों एवं जल वाष्प के विशाल जलाशय का पता लगाया जा सकता है। क्वासर में पानी के कई वर्णक्रमीय उंगलियों के निशान की खोज ने शोधकर्ताओं को जलाशय के विशाल परिमाण की गणना करने के लिए आवश्यक डेटा प्रदान किया। अगर इतने सारे टेक्निकल पॉइंट को छोड़ दिया जाए तो एक लाइन में कह सकते हैं कि – हमारे वेदों एवं विष्णु पुराण में अंतरिक्ष में मौजूद इस तरह के जलाशय (क्षीर सागर) का वर्णन उस समय से है… जब बाकी दुनिया को ये तक नहीं मालूम था कि धरती चपटी है या गोल है। और,नासा की इस पुष्टि के बाद… आखिर हमें हमारे धर्मग्रंथों पर क्यों गर्व नहीं होना चाहिए ??

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *