वाल्मीकि आश्रम मार्ग में मेहमान गैंडे की चहलकदमी से सहमे पर्यटक।

नेपाल सीमा से सटे सोनहा नदी क्षेत्र में मेहमान गैंडे ने जमाया डेरा, पर्यटकों से सतर्क रहने की अपील

वाल्मीकि नगर से विवेक कुमार सिंह की रिपोर्ट..

वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में पिछले सप्ताह नेपाल के चितवन निकुंज से निकलकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पहुंचे मेहमान गैंडे को वाल्मीकि आश्रम जाने वाले मार्ग में शनिवार को देखा गया है। जिसे देखते हुए वाल्मीकि आश्रम जाने वाले पर्यटकों को वन विभाग द्वारा सतर्क कर दिया गया है। रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि जब तक गैंडा सोनहा नदी क्षेत्र से हटता नहीं है, तब तक पर्यटक वाल्मीकि आश्रम जाने में सतर्कता बरतें। फिलहाल गैंडा सोनहा नदी क्षेत्र में ही अपना डेरा जमाया हुआ है। वन कर्मियों को उसके निगरानी के लिए लगाया गया है। वीटीआर में पूर्व से ही एक गैंडा मौजूद है जिसे आर फाइव के नाम से जाना जाता है। उसके देखरेख में वनकर्मी 24 घंटे लगे हुए हैं।

वीटीआर वन्यजीवों के भोजन और अधिवास के लिए है अनुकूल

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन्यजीवों के लिए एक ऐसा अधिवास क्षेत्र है, जहां पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध है। इसके लिए वन विभाग के द्वारा अच्छी व्यवस्था की गई है। शाकाहारी जानवरों के लिए लगभग 300 हेक्टेयर भूमि में ग्रास लैंड लगाया गया है। यही कारण है कि नेपाल के जंगलों में रहने वाले वन्य जीवों को वीटीआर खूब भाता है।

गुणवत्ता पूर्ण ग्रास लैंड वन्य जीवों के लिए सहायक

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जटाशंकर, मोटर अड्डा सहित भेड़िहारी वन क्षेत्र में शाकाहारी वन्यजीवों के लिए ग्रासलैंड बनाया गया है। साथ ही वाटर होल का भी निर्माण कराया गया है। विगत 29 अप्रैल को कार्यशाला के दौरान वन संरक्षक सह निदेशक डॉ नेशा मणि ने कहा था कि गुणवत्तापूर्ण ग्रास लैंड बढ़ने से मांसाहारी जीवों के शिकार में इजाफा होता है। इसी गुणवत्तापूर्ण ग्रास लैंड के कारण गैडा ,हिरण, सांभर, गौर जैसे शाकाहारी जीवों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

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