जिनका घर कटा वे अन्यत्र पलायन कर गये और जिस परिवार का घर कटाव के मुहाने पर है वैसे लोग बाढ़ आने का इंतजार कर रहें है
वाल्मीकि नगर से विवेक कुमार सिंह की रिपोर्ट..
वाल्मीकिनगर। गंडक नदी का जलस्तर फिलहाल कम है लेकिन मटमैला पानी आना शुरू हो चुका है। मटमैले पानी के आने से कटाव के मुहाने बसे चकदहवा निवासियों में अन्यत्र बसने की चिंता अभी से सताने लगी है। ग्रामीणों की मानें तो अभी जलस्तर भले ही कम हो लेकिन आने वाले दिनों में जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी होगी। जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ ही कटाव की गति भी तेज होगी। गंडक नदी के जलस्तर में आंशिक बढ़ोत्तरी होने के बाद ग्रामीणों में बाढ़ की आशंका अभी से सताने लगी है। अभी से ही लोग बाढ़ को लेकर सतर्क होने लगे हैं। बताते चलें कि बाढ़ अवधि में गंडक के जलस्तर बढ़ते ही कटाव की गति तेज हो जाती है। चकदहवा गांव में कटाव से विगत पांच वर्षों में सैकड़ों परिवार विस्थापित हो चुके है। जिनका घर कटा वे अन्यत्र पलायन कर गये और जिस परिवार का घर कटाव के मुहाने पर है वैसे लोग बाढ़ आने का इंतजार कर रहें है। एक जून से बाढ़ अवधि प्रारंभ होता है। हर वर्ष चकदहवा में बाढ़ और कटाव लोगों की नियति बन चुकी है। तकरीबन तीन महीने बाढ़ की विपदा झेलने के बाद लोगों को थोड़ी राहत मिलती है और फिर अगले वर्ष बाढ़ से जुझने की तैयारी में लोग जुट जाते है।
ग्रामीण इलाके में लोग पानी का रंग देखकर बाढ़ आने का अंदाजा लगा लेते हैं। गंडक नदी में जैसे ही मटमैला पानी उतरता है लोग सचेत हो जाते हैं। जानकारों की राय में यह पानी इस बात का संकेत होता है कि इस मौसम का यह पहला पानी है जो हिमालय से उतरा है। पानी का रंग बदलते ही लोग बाढ़ से सुरक्षा की तैयारी शुरू कर देते हैं। मटमैला पानी का उतरना तटवर्ती गांवों में एक अजीब सी परिस्थिति पैदा कर देता है।
कहते हैं चकदहवा वासी इस बाबत चकदहवा गांव निवासी गुलाब अंसारी ने बताया कि हमें तो पानी के साथ ही जीना है और पानी के साथ ही मरना है। इसीलिए गंडक नदी के सभी लक्षणों को हम अपने अनुभव से भांप लेते हैं। गंडक में जैसे ही मटमैला पानी उतरता है तो हम मान लेते हैं कि यह नया पानी है जो हिमालय से उतर रहा है। साफ पानी नदी की स्थिरता को दर्शाता है लेकिन जब पानी मटमैला दिखने लगता है तो हम सतर्क हो जाते हैं। पानी में बहकर जब लकड़ियां आने लगती हैं और पानी गंदा और मटमैला दिखता रहता है, और इसकी वेग काफी तेज होती है तो हमलोग सतर्क हो जाते हैं। अपने बाल-बच्चे समेत ऊंचे स्थानों की ओर कूच कर जाते हैं।