सारण
श्री नारायण विश्व शांति कथा मंच से बोलते हुए आठवें दिन श्रीमद् भागवत महापुराण में रासलीला का व्याख्या किए लुभाने बताया कि भगवान सुखदेव ने राजा परीक्षित को कहा कि परमात्मा रस स्वरूप है परमात्मा का नाम रूप लीला धाम रश्मि है जिसके जीवन में सदस्यता है सरलता है सौम्यता है वही परमात्मा को प्राप्त कर सकता है कथा मनुष्य को सरस और सरल बनती है।
भगवान की लीला चरित्र श्रवण करने से मन की व्यथा समाप्त होती है। दुख और सुख में मनुष्य को सौम्य रहना है। भगवान श्री कृष्णा इस धरा धाम पर आकर संसार को यह संदेश देते हैं कि यदि भगवान भी इस धरा धाम पर आए तो उनको भी नाचना पड़ा। संसार में कोई भी जीव आता है उसे माया के बसीभूत होना पड़ता है राज पंचाध्याई की कथा श्रीमद् भागवत का प्राण है भगवान के माधुर्य का वर्णन रासलीला में इसके बाद भगवान ने कंस का उद्धार किया संस्कार संसार में जब अहंकार बढ़ जाता है तो उसको समाप्त करने के लिए परमात्मा आते हैं।
जब तक अहंकार नर्सरी होगा जब तक हमारे जीवन में सील और सहजता नहीं आएगी तब तक हमारा कल्याण संभव नहीं है ईश्वर दर्शन के बाद भी यदि हमारे जीवन में परिवर्तन ना हो तो हमारे जैसा अभागा कौन हो सकता है भगवान श्री कृष्ण ने प्रेम का परिचय देने के लिए उद्धव जी को मथुरा से गोकुल में भेजो जीवन में प्रेम का होना आवश्यक है समाज हो या परिवार हो राज्य हो या राष्ट्र हो देश हो या विदेश हो जो कार्य प्रेम से होता है वह युद्ध और क्रांति से संभव नहीं है प्रेम भक्ति की आचार्य गोपिया है गोपियों ने प्रेम का पाठ उद्धव जी को पटाया सब कुछ करते हुए भगवान को समर्पित रहना ही प्रेम है इसके बाद भगवान के माधुर्य लीला के पश्चात ऐश्वर्या लीला में रुक्मणी विवाह की कथा सुनाइए यह बात जीवन में याद रखें रुक्मणी विवाह का मतलब है भक्ति और भगवान का मिलन भगवान की कृपा से ही जीव के जीवन में भक्ति की प्राप्ति होती है और भक्ति जिसके पास है।
भगवान उसके बस में हो जाते हैं लीला धाम रश्मि है जिसके जीवन में सदस्यता है सरलता है सौम्यता है वही परमात्मा को प्राप्त कर सकता है कथा मनुष्य को सारस और सरल बनती है भगवान की लीला चरित्र श्रवण करने से मां की व्यथा समाप्त होती है भगवान श्री कृष्णा इस धरा धाम पर आकर संसार को यह संदेश देते हैं कि यदि भगवान भी इस धरा धाम पर आए तो संसार में उनको भी नाचना पड़ा संसार में कोई भी जीव आता है उसे माया के बसीभूत होना पड़ता है राज पंचाध्याई की कथा श्रीमद् भागवत का प्राण है भगवान के माधुर्य का वर्णन रासलीला में इसके बाद भगवान ने कंस का उद्धार किया संस्कार संसार में जब अहंकार बढ़ जाता है तो उसको समाप्त करने के लिए परमात्मा आते हैं जब तक अहंकार नर्सरी होगा जब तक हमारे जीवन में सील और सहजता नहीं आएगी तब तक हमारा कल्याण संभव नहीं है ईश्वर दर्शन के बाद भी यदि हमारे जीवन में परिवर्तन ना हो तो हमारे जैसा अभागा कौन हो सकता है।
भगवान श्री कृष्ण ने प्रेम का परिचय देने के लिए उद्धव जी को मथुरा से गोकुल में भेजो जीवन में प्रेम का होना आवश्यक है समाज हो या परिवार हो राज्य हो या राष्ट्र हो देश हो या विदेश हो जो कार्य प्रेम से होता है वह युद्ध और क्रांति से संभव नहीं है प्रेम भक्ति की आचार्य गोपिया है गोपियों ने प्रेम का पाठ उद्धव जी को पटाया सब कुछ करते हुए भगवान को समर्पित रहना ही प्रेम है।
इसके बाद भगवान के माधुर्य लीला के पश्चात ऐश्वर्या लीला में रुक्मणी विवाह की कथा सुनाइए यह बात जीवन में याद रखें रुक्मणी विवाह का मतलब है भक्ति और भगवान का मिलन भगवान की कृपा से ही जीव के जीवन में भक्ति की प्राप्ति होती है और भक्ति जिसके पास है भगवान उसके बस में हो जाते हैं।