रेलवे न भीड़ प्रबंधन कर सका और न ट्रेनों के संचालन को व्यवस्थित। शनिवार रात ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदलने से स्थिति बेकाबू हो गई।
भगदड़ मची। लोग एक दूसरे पर गिरते चले गए जिससे 18 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर मगध एक्सप्रेस के यात्रियों के साथ ही प्रयागराज एक्सप्रेस की भीड़ जमा थी। इसके साथ लगते 15 नंबर पर जम्मू जाने वाली ट्रेन की भीड़ थी।
स्टेशन पर कुली का काम करने वाले शख्स ने समचार एजेंसी एएनआई से बातचीत कहा कि 1981 से कुली का काम कर रहा हूं, मैंने इससे पहले कभी ऐसी भीड़ नहीं देखी। कुंभ स्पेशल को प्लेटफॉर्म नंबर 12 से रवाना होना था, लेकिन इसे प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद अफरातफरी मच गई।
ट्रेन में यात्रियों के चढ़ने की होड़-भीड़ के बीच बिलखती बच्ची l फोटो- पीटीआई
वहीं, प्लेटफॉर्म नंबर 12 व 13 से चलने वाली स्वतंत्रता सेनानी और भुवनेश्वर राजधानी लेट हो गई थी। उसके यात्री वहां पर थे।
बड़ी संख्या में जनरल टिकट और बिना टिकट लिए यात्री पहुंच गए थे इस कारण फुट ओवर ब्रिज पर क्षमता से अधिक भीड़ इकट्ठी थी।
इसी बीच प्लेटफॉर्म नंबर 16 से प्रयागराज के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की उद्घोषणा की गई।
लोगों का कहना है कि तीन नंबर प्लेटफॉर्म से रवाना होने वाली एक ट्रेन का भी प्लेटफॉर्म बदलकर 13 कर दिया गया।
ट्रेन में चढ़ने के दौरान धक्कामुक्की करते लोग। फोटो- जागरण
विशेष ट्रेन 16 से रवाना होने की जानकारी मिलने के बाद 14 नंबर से यात्री सीढ़ियों पर चढ़ने लगे। दूसरी ओर एफओबी से नीचे भी यात्री उतर रहे थे।
इसी बीच कोई यात्री गिरा और उसके बाद भगदड़ मच गई। इससे कई लोगों की जान चली गई।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यदि ट्रेन का प्लेटफॉर्म नहीं बदला जाता तो इस तरस से लोगों की जान नहीं जाती।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ को लेकर एलएनजेपी अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में अपने रिश्तेदार का शव लेने पहुंची मृतक की रिश्तेदार ने कहा, “अचानक घोषणा हुई कि ट्रेन प्लेटफॉर्म 14 पर आने वाली है। लोग भागने लगे और भगदड़ मच गई… मुझे सूचना मिली कि शव यहां रखे गए हैं इसलिए मैं अपने रिश्तेदार का शव लेने यहां आई हूं… हम छपरा, बिहार जा रहे थे… मुझे अपनी ट्रेन टिकट के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही मुझे पता है कि मुझे किस ट्रेन में सवार होना था।”