बसंत पंचमी का त्यौहार हिन्दू धर्म के त्योहार में एक है इसे अलग अलग राज्यों में अलग अलग नाम से जाना जाता है. बसंत पंचमी के दिन ज्ञान के देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है. गुप्त नवरात्रि के पांचवा दिन बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है इन्हे सरस्वती पूजा के नाम से जाना जाता है यह त्योहार बसंत ऋतू के आगमन का प्रतिक है इस दिन से होली का आरंभ हो जाता है सरस्वती पूजा विशेषकर सरस्वती देवी विधा और संगीत की देवी मानी जाती है. विशेषकर विधार्थी, शिक्षक, पठन -पाठन तथा गीत -संगीत से जुडे लोग को विशेष दिन होता है बसंत पंचमी का त्योहार माघ माह के शुक्लपक्ष पंचमी के दिन सरस्वती पूजन का त्योहार मनाया जाता है।
बसंत पंचमी
यह त्योहार ऋतु के राजा बसंतराज यानि बसंत ऋतू का आरंभ होता है। खेत फसल से लहलहाते है इस दिन गेहूं तथा जौ की बलिया को भगवन को अर्पित की जाती है। भगवन को अबीर गुलाल चढ़ाया जाता है. ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस और अज्ञानता के छुटकारा पाने के लिए बसंत पंचमी को मां सरस्वती को विशेषतौर पर पूजन किया जाता है।
विद्या तथा नया कार्य आरंभ करने का सबसे शुभ दिन
बसंत पंचमी के दिन नया कार्य आरंभ करने का तथा विधा आरंभ करने का सबसे शुभ दिन माना जाता है। माता पिता अपने शिशु को माता सरस्वती को आशीर्वाद प्राप्त करके विधा का आरंभ करते है. नया मकान का आरंभ करना, व्यापार का आरंभ, वाहन के खरीदारी, नए मकान की खरीदारी के लिए शुभ दिन मन जाता है, इसलिए बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है. मां सरस्वती का पूजन प्रायः सभी घर तथा स्कूल में किया जाता है.
कब है सरस्वती पूजन
03 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जायेगा.
पंचमी तिथि का आरंभ 02 फरवरी 2025 को सुबह 11:53 से आरंभ होगा.
पंचमी तिथि का समाप्ति 03 फरवरी 2025 को दोपहर 09:36 मिनट को समाप्त होगा .
बसंत पंचमी यानि मां सरस्वती का पूजन किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन पंचमी तिथि और सुबह के समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस दिन मां सरस्वती को सफेद वस्त्र,सफेद फूल, दूध से बनी वस्तुओं को प्रसाद के रूप में भोग लगाए.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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