विद्या, कला, संगीत और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की तैयारी में जुटे युवा

Chhapra: विद्या, कला, संगीत और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा बसंत पंचमी के दिन धूमधाम से मनाई जाती है। माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी कहा जाता है। मंदिरों, स्कूलों, कॉलेजों, और घरों में बसंत पंचमी पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सरस्वती पूजा को लेकर छात्रों में उत्साह होता है। कई दिन पूर्व से पूजा की तैयारी की जाती है।

सरस्वती पूजा के लिए युवा विशेष रूप से मूर्ति की खरीदारी करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण परंपरा है, क्योंकि पूजा के लिए देवी की मूर्ति खरीदने से पूजा का माहौल और भी खास बन जाता है।

स्थानीय कारीगरों या कलाकारों से मूर्तियां खरीदकर पूजा पंडालों में स्थापित की जाती है। इससे स्थानीय कारीगरों को भी प्रोत्साहन मिलता है और मूर्तियों में स्थानीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

हाल के वर्षों में इको-फ्रेंडली मूर्तियों की लोकप्रियता बढ़ी है। इन मूर्तियों को पारंपरिक मिट्टी या बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बनाया जाता है, ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। युवा अब इन मूर्तियों को खरीदने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं, ताकि वे पर्यावरण की रक्षा कर सकें।

छपरा के श्यामचक में बड़ी संख्या में मूर्तिकार आकर्षक मूर्तियों का निर्माण करते हैं जिसे खरीदने के लिए लोग दूर दूर से यहाँ पहुंचते हैं।

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