CHHAPRA DESK – छपरा-माझी आरओबी निर्माण में विधवा महिला का जमीन तो गया ही, दो आम का पेड़ भी गया लेकिन मुआवजे के नाम पर आधा अधूरा भुगतान कर दिया गया. अब वह शेष रकम के लिए विभाग और पदाधिकारी का चक्कर लगा रही है. विभाग का चक्कर लगाने के बाद वह डीम से लेकर सीएम तक का जनता दरबार का दरवाजा खटखटा चुकी है. लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात की है. सिस्टम की मार से विधवा अब लाचार है. विधवा महिला सारण जिले के रिविलगंज थाना अंतर्गत पहिया सेमरिया गांव निवासी स्वर्गीय धनराज राय की पत्नी बिंदा देवी है.
जो कि 3 वर्षों से विभाग और पदाधिकारी का चक्कर लगाते लगाते थक चुकी है. विधवा ने बताया कि वर्ष 2019 में छपरा-मांझी आरओबी निर्माण को लेकर उसकी जमीन जिसका खाता संख्या-469 और खेसरा संख्या 1469 था, उसे अधिग्रहित किया गया जिस पर आम का दो पेड़ भी था. जिसमें पंचाट संख्या 56 से कुल 39600 का पंचाट निर्मित किया गया. लेकिन, उसके खाते में पार्ट पेमेंट 22350 रुपए ही आया. जबकि, 17250 विभागीय उदासीनता के कारण आज तक पेंडिंग पड़ा हुआ है.
उक्त मामले में 2022 से लेकर आज तीन वर्षों के अंतराल में उसके द्वारा उक्त पंचाट के भुगतान को लेकर 6 बार आवेदन दिया गया लेकिन आज तक उसका भुगतान नहीं हो पाया और वह डीम से लेकर सीएम के दरबार जनता दरबार तक भुगतान को लेकर गुहार लगाती रही. जिसके बाद वह पुनः भूअर्जन कार्यालय पहुंची, जहां कार्यालय में कार्यरत सेमरिया मौजा के लिपिक द्वारा उसे बताया गया कि उसके द्वारा जमा किया गया वाउचर एवं पंचाट कार्यालय में उपलब्ध नहीं है और उसे वाउचर लेकर फिर से जमा करना पड़ेगा. तभी कुछ संभव हो सकेगा.
जिस पर विधवा बिंदा देवी ने बताया कि वह पूर्व में वाउचर और पंचाक संख्या 56 के साथ वाउचर भी जमा कर चुकी है. अब विभाग द्वारा बताया जा रहा है कि कागजात गायब है. ऐसे में वह मूल प्रति कहां से लायेगी. उसके द्वारा आरोप लगाया गया है कि घूस नहीं देने के कारण उसे कार्यालय से भी दौराया जा रहा है. ऐसी स्थिति में वह अपना जीवन यापन करने में भी परेशानी महसूस कर रही है. ऊपर से काम काज छोड़कर उसे विभाग का चक्कर लगाना पड़ रहा है.