पुष्प की अभिलाषा से जनमानस में बस गए माखनलाल

राष्ट्रीय चेतना के कवियों में माखनलाल चतुर्वेदी का शीर्ष स्थान है। पुष्प की अभिलाषा जैसी अमर कविता से वे भारतीय जनमानस में रच बस गए। 

माखनलाल चतुर्वेदी में स्वतंत्रता की चेतना के साथ देश के लिए त्याग व बलिदान की भावना कूट कूटकर भरी हुई थी। उन्हें एक भारतीय आत्मा भी कहा जाता है। एक भारतीय आत्म उपनाम से उन्होंने कविताएं भी लिखी हैं। 

ये बातें साहित्य भवन कांटी में शुक्रवार को आयोजित जयंती समारोह में चंद्रभूषण सिंह चंद्र ने कही। नूतन साहित्यकार परिषद की ओर से आयोजित जयंती समारोह में चंद्र ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी स्वाधीनता आंदोलन में एक कवि-कार्यकर्ता थे।

उनकी सृजनात्मक यात्रा के तीन आयाम रहे। एक पत्रकारिता व संपादन दूसरा साहित्य सृजन व तीसरा व्याख्यान जहां वे प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक-साहित्यिक-राजनीतिक प्रश्नों से रूबरू हुए।

रामेश्वर महतो ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कई बार भी जेल गए। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसमें स्वराजलाल ठाकुर, अधिवक्ता नीरज शर्मा, महेश कुमार,नंदकिशोर ठाकुर, रोहित रंजन आदि शामिल थे।

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