बिहार में दही-चूड़ा पॉलिटिक्स जारी है। मकर संक्रांति पर सियासी पारा हाई है। बुधवार को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष पशुपति पारस के दही-चूड़ा भोज में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव पहुंचे। इस दौरान उनके साथ बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप भी मौजूद रहे। इसके अलावा अब्दुल बारी सिद्दीकी समेत कई लोग भोज में शामिल हुए। इस भोज को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई है। वहीं पशुपति पारस ने भी कहा कि भविष्य के गर्त में क्या छिपा है, वक्त आने पर सामने आ जाएगा।
उन्होने कहा कि बिहार चुनाव में भी 8-9 महीने बाकी है। अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होगा, ये भविष्य के गर्भ में हैं, क्या होगा और क्या नहीं होगा। बिहार की जनता सर्वोपरि है। किसे वो सत्ता में लेकर जाएगी। इसके लिए भविष्य का इंतजार करना पड़ेगा। दही-चूड़ा भोज पर लालू यादव से पशुपति पारस की मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। आपको बता दें इससे पहले मंगलवार को पशुपति के भतीजे चिराग पासवान ने भी दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया था। जिसमें सीएम नीतीश भी पहुंचे थे। उस वक्त चिराग वहां नहीं थे। जिसके बाद सीएम वहां से चले गए थे। चिराग के भोज में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, उपमुख्यमंत्री सम्राच चौधरी, विजय सिन्हा समेत तमाम एनडीए के नेता पहुंचे थे। लेकिन चाचा पशुपति पारस को बुलावा नहीं भेजा गया था। इसी वजह से चिराग को भी पारस के दही-चूड़ा भोज में नहीं बुलाया गया।