बीपीएससी चेयरमैन रवि मनुभाई की नियुक्ति पर नीतीश सरकार को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के चेयरमैन रवि मनुभाई परमार की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से जवाब मांगा है। इस संबंध में बिहार सरकार और बीपीएससी को नोटिस भेजा गया है। 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है। रवि मनुभाई की BPSC चेयरमैन के पद पर हुई नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को शीर्ष अदालत में सुनवाई हुई। जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील एवं याचिकाकर्ता ब्रजेश सिंह की दलीलों पर गौर किया।हालांकि, अदालत ने इस बात की आलोचना की कि यह याचिका एक वकील ने दायर की है जिसका बीपीएससी के कामकाज से कोई संबंध या लेना देना नहीं है। जस्टिस ने कहा, “एक वकील के तौर पर आपको इस तरह की जनहित याचिकाएं दायर करने से दूर रहना चाहिए क्योंकि आपका बीपीएससी से कोई संबंध या कोई लेना देना नहीं है।’’ कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए एक न्यायमित्र भी नियुक्त किया है।

इस याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार द्वारा रवि मनुभाई परमार को बीपीएससी चेयरमैन के पद पर की गई नियुक्ति नियमों के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने कहा कि बेदाग चरित्र वाले लोगों को लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त करना संवैधानिक आदेश के अनुरूप नहीं है। इसमें कहा गया कि परमार के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो द्वारा भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोपी बनाया गया था। यह केस अभी पटना कोर्ट में लंबित है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि BPSC चेयरमैन पर भ्रष्टाचार और जालसाजी के गंभीर आरोप हैं। ऐसे में उनकी ईमानदारी संदेह के दायरे में है, इसलिए उन्हें BPSC अध्यक्ष के पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए था। याचिका में दावा किया गया कि परमार इस संवैधानिक पद पर नियुक्ति के लिए बुनियादी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं।

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