Samastipur News : समस्तीपुर में मनरेगा में घोटाला उजागर ! फर्जी जॉब कार्ड बनाकर उठाया जा रहा पैसा, लोकपाल से की शिकायत.

Samastipur News : समस्तीपुर में मनरेगा योजना में पैसों की लूट का एक मामला सामने आया है ,आरोप है कि जिले के हथौड़ी थाना क्षेत्र के रहटौली पंचायत के समिति सदस्य और रोजगार सेवक ने मिलीभगत कर एक तालाब निर्माण का पैसा फर्जीवाड़ा कर गबन कर लिया। इस मामले की शिकायत मिलने के बाद लोकपाल ने कार्रवाई करते हुए आरोपियों को नोटिस जारी किया गया है।

बताया जाता है कि योजना में फर्जी जॉब कार्ड के माध्यम से एक लाख 96 हजार रुपए की निकासी की गई है। लेकिन, धरातल पर कोई काम नहीं किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि योजना में पंचायत समिति सदस्य और रोजगार सेवक द्वारा पैसे का बंदर बांट कर लिया गया है। जबकि, पोस्ट ऑफिस के जिस खाते से पैसे की निकासी की गई है। वह खाता रहटौली पंचायत के वार्ड नं०-2 के रहने वाले जितेन्द्र कुमार सिंह नामक व्यक्ति के नाम पर है।

फर्जी तरीके से पैसे की निकासी का आरोप :

इस मामले में जितेंद्र का आरोप है कि पंचायत समिति सदस्य वीणा देवी के पति उमेश यादव साजिश के तहत उसके नाम पर तालाब बनाने के लिए मनरेगा योजना के तहत 1.96 लाख रुपए उठा लिया। साथ ही उनके इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के खाते में 22,708 रुपए ट्रांसफर भी करवा दिया।

उसका आरोप यह भी है कि उनके नाम पर फर्जी जॉब कार्ड भी बनवा रखा है। उस जॉब कार्ड के जरिए काम भी दिखाया जा रहा है, जबकि वह मुजफ्फरपुर के सुगना फूड्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करता है और जिस तारीख में उसे मनरेगा में काम करते हुए दर्शाया गया है। जबकि उस तारीख में वह मुजफ्फरपुर में कार्यरत था।

 

 

 

लोकपाल ने आरोपियों को जारी की नोटिस :

जितेंद्र ने कहा है कि इसकी जानकारी उसे तब मिली जब उसके खाते में 22,708 रुपए आए। जिसके बाद छानबीन करने पर पता चला कि कि पैसा मनरेगा योजना का है। उसके बाद जानकारी मिली कि उनके नाम पर तालाब बनाने के लिए राशि उठाई गई है। वहीं अब इस मामले की शिकायत मिलने के बाद लोकपाल ने कार्रवाई करते हुए आरोपियों को नोटिस जारी किया गया है।

बता दें कि ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को साल में सौ दिन रोजगार देने के उद्देश्य से देश में मनरेगा योजना शुरू की गयी थी, लेकिन सरकार की यह महत्त्वाकांक्षी योजना धीरे-धीरे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती गई। इसमें बड़े पैमाने पर धांधली होने लगी, फर्जी कार्ड बनने लगे। आलम यह है कि ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए बनाई गई यह योजना ग्राम पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति और रोजगार सेवकों की मिलीभगत के कारण बर्बाद हो रही है।

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