हिलसा (नालंदा दर्पण)। एकंगरसराय प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत तेलहारा गांव में एक अनूठी पहल के तहत ‘दीदी का हाट’ खुलेगा। इसे महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जाएगा। इस हाट की सबसे खास बात यह है कि इसका डिज़ाइन लंदन की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड और लंदन स्कूल ऑफ हाइजेनिक एंड ट्रोपिकल मेडिसिन द्वारा तैयार किया जा रहा है।
इस हाट में मीट, मछली, अंडे, दूध, फल और ताजी सब्जियां उपलब्ध होंगी। हाट को पूरी तरह महिला-फ्रेंडली बनाया जाएगा। इससे यहां आने वाली महिलाओं को न केवल एक सुरक्षित वातावरण मिलेगा, बल्कि वे अपने छोटे व्यवसायों को भी बढ़ावा दे सकेंगी।
यह हाट पूरी तरह से जीविका दीदियों द्वारा संचालित होगा। यहां एक जीविका क्रेच (शिशु देखभाल केंद्र) भी बनाया जाएगा। ताकि व्यवसाय करने वाली महिलाएं अपने छोटे बच्चों को बेफिक्र छोड़कर अपने कार्यों में संलग्न हो सकेंगी। बच्चों के खेलने और सीखने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाएंगी। इससे उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इसके अलावा महिलाओं की सुविधा के लिए स्वच्छ और आधुनिक शौचालय भी बनाए जाएंगे। इनका उपयोग बाजार में आने वाली महिलाएं और जीविका दीदियां कर सकेंगी।
‘दीदी का हाट’ का मुख्य उद्देश्य सुदूर गांवों तक पोषक आहार पहुंचाना है। यहां खाद्य सामग्री को लंबे समय तक संरक्षित करने की व्यवस्था होगी। ताकि अनाज, फल-सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थ बेकार न जाएं। खासतौर पर मीट-मछली को ताजे और स्वच्छ रूप में उपलब्ध कराने की योजना है।
इस हाट के निर्माण में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा। इससे यह बाजार हरित और टिकाऊ बनेगा। इससे दीर्घकालिक रूप से जीविका दीदियों और ग्राहकों को लाभ मिलेगा।
यह हाट न केवल एक बाजार होगा, बल्कि यह महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का भी केंद्र बनेगा। यहां महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी और अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुंचाने का अवसर प्राप्त करेंगी।
बहरहाल ‘दीदी का हाट’ एक अनूठी पहल मानी जा रही है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिलाओं के व्यवसाय को बढ़ावा देने और पोषण सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लंदन की यूनिवर्सिटी की सहायता से इसे आधुनिक और सुविधाजनक बनाया जा रहा है। ताकि इसे बिहार और भारत के अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल हाट बनाया जा सके।
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