हिलसा (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के इस्लामपुर प्रखंड के शरीफाबाद गाँव में एक अद्भुत खोज सामने आई है, जो त्रेता युग और रामायण काल से जुड़ी हुई मानी जा रही है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस गाँव के पास स्थित एक पहाड़ का संबंध महाकाव्य रामायण की प्रसिद्ध घटना से है। जहां संकटमोचन हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी वाले द्रोणगिरि पर्वत का एक हिस्सा यहां गिरा था।
इस पहाड़ को लेकर पीढ़ियों से कहानियां चली आ रही हैं कि जब हनुमान जी लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर करने के लिए संजीवनी बूटी लेकर आ रहे थे तो इस पर्वत का एक टुकड़ा उनके हाथों से छूटकर नालंदा के इस क्षेत्र में गिर गया था। यह विशाल पहाड़ी टुकड़ा लगभग 300 फीट लंबा और 150 फीट चौड़ा है और इसे क्षेत्र के लोगों ने हमेशा से एक पवित्र स्थल के रूप में पूजा है।
शोधकर्ताओं और इतिहासकारों का मानना है कि यह स्थल रामायण काल के महत्व को दर्शाता है और इसका अध्ययन पुरातात्विक और पौराणिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। प्राचीन काल में इस पहाड़ पर संजीवनी बूटी जैसी जड़ी-बूटियों की बहुतायत थी, जिनका उल्लेख रामायण और आयुर्वेद दोनों में मिलता है। हालांकि जनसंख्या वृद्धि और समय के साथ इन जड़ी-बूटियों की उपलब्धता दुर्लभ हो गई है।
इतिहासकारों के अनुसार उत्तराखंड के चमोली जिले के नीति गांव के पास स्थित द्रोणागिरि पर्वत का ऊपरी हिस्सा आज भी कटा हुआ दिखता है, जो इस पौराणिक घटना की पुष्टि करता है। राजगीर के पहाड़ों पर भी संजीवनी बूटी के पौधे पाए जाने की रिपोर्ट्स ने इस क्षेत्र के पौराणिक महत्व को और भी गहरा कर दिया है।
पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का मानना है कि इस क्षेत्र में व्यापक खुदाई और जांच के बाद ही इसके प्राचीनता का सटीक आकलन किया जा सकेगा। इस अनोखी खोज ने इतिहास और पौराणिक कथाओं के शोधकर्ताओं के लिए एक नई दिशा खोल दी है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह स्थान न केवल पौराणिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से इस पौराणिक धरोहर को संरक्षित रखने की अपील की है और इसके महत्व को समझते हुए इसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मान्यता दिलाने की योजना बनाई जा रही है।
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