होली उमंग तथा उत्साह का त्योहार है। हिन्दू धर्म के त्योहार में सबसे प्रसिद्द त्योहार होली है। पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, लेकिन पूर्णिमा का होली सभी जगह नहीं मानते है। शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा प्रतिपदा से युत हो इस स्थति में होली मनाना बहुत ही शुभ होता है।
होली हर्सोल्लास का त्योहार है। बसंत ऋतू में लगाए गए फसल की कटाई होती है। जिसमे मुख्यत गेहूं तथा अन्य फसल भी निकलता है। हिन्दू धर्म के रीति रिवाज के अनुसार जब भी किसान खेत से अपना फसल निकालते है उस फसल के अन्य को निकालकर पकवान बनाते है। अपने कुल देवता तथा तथा आराध्य देव को पूजन करते है भोग लगते है, फिर सभी परिवार के साथ मिलकर प्रसाद को खाते है। शास्त्र प्रमाण के अनुसार हिरण्यकश्यप तथा प्रह्लाद को लेकर है होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत है। इसलिए इस दिन एक दुसरे पर रंग गुलाल लगाते है।
होली का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार सुबह 09:17 से आरम्भ होगा.
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार सुबह 11:11 मिनट तक रहेगा.
भद्रा काल कब से आरंभ होगा
भद्रा काल का आरम्भ 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार सुबह 10:02 से आरम्भ होगा.
भद्रा काल समाप्ति 13 मार्च 2025 रात्रि 10 :37 मिनट पर समाप्त होगा.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
13 मार्च 2025 दिन गुरुवार रात्रि 10:38 मिनट के बाद होलिका दहन किया जा सकता है लेकिन रात्रि में होलिका दहन करना अनुकुल नही माना जाता है इसलिए होलिका दहन 14 मार्च 2025 को सुबह में होलिका दहन करना शुभ होगा.
शास्त्र सम्मत के अनुसार होली कब मनाए
नियमतः किसी भी त्योहार शुभ मुहूर्त में मनाने से बहुत ही शुभ होता है। घर परिवार लिए कल्याणकारी होता है। होलिका दहन के अगले दिन काशी के अंतर्गत होली का प्रसिद्द त्योहार मनाया जायेगा। अन्य क्षेत्रो में होली मनाने का प्राब्धन शास्त्र के अनुसार चैत्र कृष्णपक्ष की ओउदायिक तिथि में खेलने का शास्त्र प्रमाण है। इसलिए काशी के अलावा अन्य क्षेत्र में होली खेली जाती है। काशी में होली 14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा। अन्य जगह पर 15 मार्च 2025 दिन शनिवार को होली खेला जाएगा.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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