नवादा में प्राकृति का कहर लगातार जारी, फिर भी कृषि विभाग को नहीं दिख रहा तबाही, सरकार को भेज दिया बर्बादी का शून्य रिपोर्ट, पढ़ें पूरी खबर

कहीं ठनका से मौत, तो कहीं किसान का फसलों पर कहर, किसानों की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं, पिछले चार-पांच दिनों से जिले के किसी न किसी हिस्से में प्राकृतिक का कहर जारी रहने से किसानों में छाया मायूसी

Report by Nawada News Xpress

नवादा / सूरज कुमार

नवादा जिले में लगातार चार-पांच दिनों से हो रही अलग-अलग क्षेत्रों में बेमौसम बरसात ने एक तरफ किसानों की खून पसीने की मेहनत पर प्राकृतिक ने कहर बरपा रखा है, तो वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग के नजर में नवादा में कोई बर्बादी नहीं होने की रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। पिछले दिनों जिस तरह से आंधी तूफान और बारिश ने जो कहर बरपाया वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। बावजूद कृषि विभाग को वह बर्बादी नजर नहीं आ रही है।

इतना नहीं जिले में आंधी बारिश के दौरान ठनका के चपेट में आने से अब तक दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। किसानों का तैयार गेहूं की फसलें खेतों में ही पानी में डूब गया। नवादा कृषि विभाग ने 11 अप्रैल 2025 को जो रिपोर्ट सरकार को भेजा है, उसमें मात्र कौआकोल में ही शिमला मिर्च के पॉली हाउस में 0.2 हैक्टेयर में नुकसान नजर आया है, जबकि जिले में तैयार गेहूं की फसलों का नुकसान विभाग के अधिकारियों को नजर नहीं आया है। इससे किसानों में विभाग व सरकार के प्रति काफी मायूसी देखी जा रही है।

क्या कहते हैं किसान
नवादा जिले के अकबरपुर प्रखंड स्थित कझिया गांव निवासी किसान श्री मनोज कुमार बताते हैं कि जिस तरह से जिले में प्राकृतिक ने कहर बरपाया उसपर विभाग खामोश है। उन्होंने कहा कि बिहार के किसान इतना हिम्मती है कि सुसाईट नहीं कर रहे हैं। किसानों के नुकसान पर लिपा-पोती करने से विभाग के अधिकारी को मेहनत कम करना पड़ेगा। यहां के रौशन कुमार किसान को खटाल चलाने के लिए जानवर को खिलाने के नाम पर भूसा तक नहीं बचा है।

पड़ोसी जिला नालंदा, गया और जमुई में किसानों को भरपूर लाभ मिल रहा है लेकिन नवादा के किसानों को कोई लाभ नहीं मिला है। पिछले दो सालों से ओलावृष्टि का नुकासन पर कोई लाभ नहीं मिला है। यहां के जनप्रतिनिधि भी सरकार के समक्ष आवाज नहीं उठाते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का आवाज उठाने वाला इस जिला में कोई नहीं है। किसान कर्ज के बोझ से दबा हुआ है, बावजूद खामोश है।

उन्होंने बताया कि बारिष से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल अगला साल सीड के लायक नहीं रहेगा। गेहूं का रंग सफेद हो जाने से उसका बाजार में कीमत नहीं मिलेगा। इसके साथ ही जो गेहूं कटकर खेत में पड़ा था वह बारिश से बर्बाद होकर खेत में ही रह गया। इतना सब कुछ होने के बाद भी किसानों का नुकसान विभाग को नहीं दिख रहा है। यह नवादा के किसानों के लिए दुर्भाग्य है।

ठनका से अब तक दो की हुई मौत
आंधी तथा वज्रपात से जहां किसानों को काफी नुकसान हुई है, वहीं माल-जाल की भी क्षत्रि हो रही है। जिले के काशीचक थाना क्षेत्र के सकरगंज गांव में सोमवार की शाम हुई वज्रपात से एक बालक की मौत हो गई। घटना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। इस प्राकृतिक आपदा में आकाशीय बिजली गिरने से उक्त गांव निवासी महेन्द्र यादव का 15 वर्षीय पुत्र गौरव कुमार की दर्दनाक मौत हो गई। इसके पूर्व 11 अप्रैल को भी अकबरपुर में एक व्यक्ति की मौत ठनका के चपेट में आने से हो चुकी है। वहीं ताड़ के पेड़ों पर ठनका गिरने से आग लगने की घटना भी हो चुकी है। कई जगहों पर पेड़ भी गिर गया। इतना ही नहीं कई घरों को भी नुकसान हुआ है। इतना सब कुछ होने के बाद भी प्रशासन को कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा है।

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