राजगीर (नालंदा दर्पण)। इस वर्ष नई दिल्ली के राष्ट्र कर्तव्य पथ पर आयोजित 76वें गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झांकी ने अपनी अद्वितीय प्रस्तुति से हर किसी का ध्यान खींचा। झांकी में बोधि वृक्ष और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। यह झांकी ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ थीम के तहत राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर का प्रतीक बनी।
इस झांकी में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को दर्शाते हुए बौद्ध भिक्षुओं को ज्ञानचर्चा में मग्न दिखाया गया। नालंदा विश्वविद्यालय, जिसकी स्थापना 427 ईस्वी में गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त ने की थी, वह विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था। लगभग 800 वर्षों तक यह ज्ञान का वैश्विक केंद्र रहा। यहां चीन, जापान, तिब्बत और कोरिया से आए विद्वानों ने अध्ययन किया।
झांकी में एक ध्यानमग्न भगवान बुद्ध की प्रतिमा को धर्मचक्र मुद्रा में दिखाया गया। जो शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक थी। साथ ही बिहार के बोधगया के पवित्र बोधि वृक्ष को प्रदर्शित किया गया। जिसके नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
झांकी के साइड पैनल पर भित्तिचित्रों के माध्यम से बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों को दर्शाया गया। इनमें चाणक्य के योगदान, वैदिक सभाओं, गणितज्ञ आर्यभट्ट की उपलब्धियों और गुरु-शिष्य परंपरा का वर्णन शामिल था। इसके अलावा एलईडी स्क्रीन पर नवनिर्मित नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का भव्य परिसर प्रदर्शित किया गया। जो ‘कार्बन-न्यूट्रल’ और ‘नेट-जीरो’ डिजाइन पर आधारित है।
बिहार की झांकी जैसे ही कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ी, दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट और जयकारों के साथ इसका स्वागत किया। सलामी मंच के करीब पहुंचने पर बिहार की समृद्ध ज्ञान परंपरा को सलाम करते हुए दर्शक खड़े हो गए और कैमरों की फ्लैश झांकी की भव्यता को कैद करने लगी।
बता दें कि राजगीर में स्थापित नवनिर्मित अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय ने राज्य की शिक्षा और सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। विगत 19 जून, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में इसका उद्घाटन किया गया था।
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