बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार सरकार ने अनुदानित 1942 मदरसा और 600 से अधिक संस्कृत स्कूलों के शिक्षकों के वेतन सत्यापन और उनकी नियुक्ति की वैधता की नए सिरे से जांच कराने का निर्णय लिया है। इस ऑडिट की जिम्मेदारी वित्त विभाग के अधिकारियों को सौंपी गई है, जो शिक्षकों के वेतनमान और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया की गहराई से जांच करेंगे।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस सत्यापन प्रक्रिया के बाद शिक्षकों को पांचवें और छठे वेतनमान के तहत सही वेतन दरों का लाभ दिया जाएगा। इसका सीधा असर शिक्षकों के वित्तीय लाभ पर पड़ेगा, जिससे उन्हें वेतन निर्धारण में बड़ी राहत मिलेगी।
ऑडिट टीम का मुख्य फोकस यह रहेगा कि मदरसों और संस्कृत विद्यालयों में समय-समय पर की गई नियुक्तियाँ सही प्रक्रिया से हुई हैं या नहीं। इसमें देखा जाएगा कि इन नियुक्तियों के लिए संबंधित बोर्ड से विधिवत अनुमति ली गई थी या नहीं।
बताया जाता है कि मदरसा और संस्कृत स्कूलों के शिक्षकों को पांचवें वेतन पुनरीक्षण का लाभ 1 अप्रैल 1998 से दिया गया था। अब शिक्षा विभाग की ऑडिट प्रक्रिया के बाद इस वेतनमान को अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह 1 मार्च 1989 से लागू किया जाएगा। इसके अलावा छठे वेतनमान का निर्धारण अन्य विद्यालय अध्यापकों की भांति 1 अप्रैल 2007 से किया जाएगा। जबकि अभी तक इन्हें यह लाभ 1 अप्रैल 2013 से मिल रहा था।
ऑडिट के नतीजों के आधार पर वेतनमान में किए जाने वाले सुधार से शिक्षकों को आर्थिक रूप से बड़ा फायदा मिलेगा। सरकार का यह कदम उन शिक्षकों के लिए राहत भरा साबित होगा, जो लंबे समय से वेतन विसंगतियों का सामना कर रहे थे। अब सभी की निगाहें इस ऑडिट रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत दे सकती है।
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