Makhana Board: मखाना बोर्ड पर Darbhanga V/s Purnia में जनयुद्ध, ये लावा…फूट पड़ा तो…?

दरभंगा, देशज टाइम्स डॉट कॉम की खास रिपोर्ट| आप पढ़ रहे हैं, देशज टाइम्स। देशज टाइम्स जिसे है हर घर की फिकर। इसी फिकर का आज केंद्रबिंदु है मखाना। क्योंकि, मखाना हर घर की जरूरत है। पूजनीय है। खाने में स्वादिष्ट है। पौष्टकिता से भरपूर है।

📍 Darbhanga V/s Purnia : मगर, बीच में सियासी लगड़ी लग गई है

मगर, बीच में सियासी लगड़ी लग गई है। अब मखाना, दरभंगा और पूर्णिया के पाट में फंसा है। सवाल पूछे जाने लगे हैं, मखाना बोर्ड को लेकर दरभंगा बनाम पूर्णिया की जंग आखिर कब शांत होगी। तेज होती सियासत, किसानों, संगठनों में नाराजगी के बीच राजनीति की गरमाई मखाना को लेकर सीधे दरभंगा और पूर्णिया के आमने-सामने है।

📍 Darbhanga V/s Purnia : मखाना को लेकर घमासान मचा हुआ है?

दरभंगा, देशज टाइम्स डॉट कॉम की खास रिपोर्ट| बिहार में मखाना उद्योग अब सिर्फ एक कृषि उत्पाद नहीं, बल्कि बड़ी सियासी जंग का मुद्दा बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “300 दिन मखाना खाने” के बयान से लेकर, लालू प्रसाद की बिहारी भुजा, पप्पू यादव की धमकी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के दरभंगा दौरे तक, मखाना को लेकर घमासान मचा हुआ है।

🚨 Darbhanga V/s Purnia: बिहार में मखाना बना सियासी नया अखाड़ा, दरभंगा बनाम पूर्णिया की जंग तेज

मखाना अब बिहार की राजनीति के केंद्र में आ गया है। पीएम मोदी के साल में तीन सौ दिन मखाना खाने, लालू प्रसाद के बिहारी भुजा फांकनें और सांसद पप्पू यादव की धमकी किसी भी सूरत में पूर्णियां ही बनेगा मखाना हब।

🚨 बिहार में सीधी लड़ाई छिड़ गई है

इधर, मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता संजय कुमार झा का दरभंगा को मखाना हब बनाने की कोशिश। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का दरभंगा आना। मखाना को लेकर बयान देना, सियासी राजनीति के साथ ही किसानों को आह्लादित कर दिया है। सीधी लड़ाई छिड़ गई है।

🚨 पग-पग पोखर माछ मखान की धरोहर दरभंगा को लेकर चिंता स्वभाविक…कहीं मखाना बोर्ड ना चला जाए पानी में

वैसे तो, बिहार में मखाना फसल की व्यावसायिक खेती मुख्य रूप से उत्तर बिहार के कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, मधेपुरा और मधुबनी जिलों तक सीमित है, लेकिन इन दिनों जिस तरीके से मखाना की राजनीति हो रही है। लगता नहीं, मखाना को मुकाम मिल पाएगा। पग-पग पोखर माछ मखान की धरोहर दरभंगा कहीं इससे वंचित ना हो जाए और पूर्णिया बाजी मार ले जाए।

🚨 दरभंगा को संशय, पूर्णिया की आर-पार, बीच फंसा बोर्ड

ऐसे में दरभंगा के किसानों के मन में भी संशय हैं। पूर्णिया के किसान और वहां के किसान संगठन इसकी आर-पार की लड़ाई छेड़कर बैठ गए हैं। नारे लग रहे हैं,‘कोसी-सीमांचल की हकमारी के खिलाफ हल्ला बोल’ से लेकर ‘पूर्णिया मांगे मखाना बोर्ड’ ।

🚨 मखाना का केंद्र कहां होगा-दरभंगा या पूर्णिया?

ऐसे में, केंद्रीय बजट में मखाना बोर्ड की घोषणा ने इन क्षेत्रों के बीच एक नई जंग छेड़ दी है। मखाना का केंद्र कहां होगा-दरभंगा या पूर्णिया? शुरू में जो आर्थिक फैसला था वह अब राजनीतिक तौर पर बदल गया है।

🚨 मखाना बोर्ड के मुख्यालय को लेकर सीधी टक्कर

बिहार में मखाना अब केवल खेती और व्यापार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया है। दरभंगा और पूर्णिया के बीच मखाना बोर्ड के मुख्यालय को लेकर सीधी टक्कर हो गई है।

👉 पीएम मोदी के मखाना प्रेम, लालू यादव के बिहारी भुजा खाने की चर्चा और सांसद पप्पू यादव की धमकी—”पूर्णिया ही बनेगा मखाना हब”—ने इस विवाद को और भड़का दिया है।

📌 इधर, जदयू नेता और मंत्री संजय झा ने दरभंगा को मखाना हब बनाने की बात कही है, तो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के हालिया दरभंगा दौरे ने सियासी पारा चढ़ा दिया है।

📍 Darbhanga V/s Purnia: मखाना हब, जबरदस्त खींचतान?

🔹 बिहार में मखाना उत्पादन मुख्य रूप से कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, मधेपुरा और मधुबनी जिलों में होता है।
🔹 लेकिन अब दरभंगा और पूर्णिया के बीच मखाना हब को लेकर जबरदस्त खींचतान मची हुई है।
🔹 पूर्णिया के किसान और संगठन इसे “कोसी-सीमांचल की हकमारी” बताकर विरोध कर रहे हैं।
🔹 पूर्णिया जिले की सड़कों पर सैकड़ों लोग मशालों के साथ ‘कोसी-सीमांचल की हकमारी के खिलाफ हल्ला बोल’ से लेकर ‘पूर्णिया मांगे मखाना बोर्ड’ तक कटिहार और पूर्णिया जिलों में पूर्ण बंद से पहले कई गरमाहट वाले नारे लगाए, तय है मानने को कतई तैयार नहीं हैं।

📢 नारे गूंज रहे हैं
🗣️ “पूर्णिया मांगे मखाना बोर्ड!”
🗣️ “कोसी-सीमांचल की हकमारी के खिलाफ हल्ला बोल!”

🔥 सड़कों पर संघर्ष, प्रदर्शन और बंद का ऐलान

📅 24 फरवरी को पूर्णिया में बंद बुलाया गया
सांसद पप्पू यादव ने कहा, “अगर सीमांचल की अनदेखी हुई, तो जनयुद्ध छेड़ देंगे।”
🔥 पूर्णिया और कटिहार में जलते मशालों के साथ प्रदर्शन, मखाना बोर्ड की मांग को लेकर व्यापारी और किसान लामबंद

💰 3,000 करोड़ की इंडस्ट्री पर दांव

📌 बिहार में 35,000 हेक्टेयर में मखाना की खेती होती है, जिसमें से 14,000 हेक्टेयर अकेले पूर्णिया और कटिहार में है
📌 दरभंगा-मधुबनी पारंपरिक उत्पादक क्षेत्र हैं, लेकिन पूर्णिया अब 70% मखाना उत्पादन कर रहा है।
📌 पूर्णिया में बड़े गोदाम और प्रोसेसिंग यूनिट्स बन रही हैं, जिससे यहां मौसमी नौकरियों में हजारों मजदूर आते हैं

📢 बिहार के पारंपरिक मखाना उत्पादक क्षेत्रों दरभंगा और मधुबनी से आगे निकलकर कोसी-सीमांचल क्षेत्र 3,000 करोड़ की इंडस्ट्री में इसकी खेती करने वाला अग्रणी क्षेत्र बन गया है।
📢 पूर्णियां के व्यापारी वर्ग कहते हैं – “पूर्णिया में मखाना बोर्ड बनना जरूरी है, यह राजनीति नहीं, हकीकत है!”

🌍 GI टैग के बाद अब ‘मखाना बोर्ड’ पर संग्राम

2022 में पूर्णिया स्थित कृषि विश्वविद्यालय की कोशिशों से ‘मिथिला मखाना’ को GI टैग मिला।
✅ अब पूर्णिया में मखाना बोर्ड बनाने की मांग जोर पकड़ रही है।

🚜 दरभंगा के लिए सियासी पैरवी तेज़

📢 दरभंगा के सांसद गोपाल ठाकुर और विधायक संजय सरावगी ने कहा – “मखाना बोर्ड दरभंगा में बनेगा, यही सही जगह है।”
📢 गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भेजे गए
📢 कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दरभंगा में मखाना किसानों से मुलाकात कर बोर्ड के बारे में चर्चा की।

👉 इस पर पप्पू यादव भड़क गए – “अगर मखाना बोर्ड का फैसला किसानों से लेना है, तो वे सीमांचल के असली किसानों से भी बात करें!” पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने कहा, “हम मखाना बोर्ड पर गंदी राजनीति बर्दाश्त नहीं करेंगे।
👉 पप्पू यादव ने सुनाई खरी-खरी–पीएम लुक ईस्ट का नारा देते हैं। सीमांचल कोसी को नज़रअंदाज़ करते हैं। सबसे पिछड़ा क्षेत्र जो पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार है। अगर ऐसा चलता रहा तो हम जनयुद्ध शुरू करेंगे।

⚖️ केंद्र सरकार क्या कह रही है?

🔸 अब तक सरकार ने नहीं बताया कि मखाना बोर्ड कहां बनेगा
🔸 एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा – “यह चुनावी साल है, इसलिए केंद्र जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करेगा।”
🔸 कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का दरभंगा दौरा माहौल समझने की कोशिश भी हो सकता है।

📢 स्थानीय मीडिया में चर्चा तेज़
📰 “मखाना बोर्ड पर अंदर ही अंदर फूट रहा लावा, उत्पादन में पूर्णिया अव्वल!”
📰 “मखाना बोर्ड के लिए सड़क पर उतरेगा किसान संघ!”

🛑 निष्कर्ष: मखाना पर सियासी तकरार कहां जाकर रुकेगी?

दरभंगा और पूर्णिया के बीच मखाना बोर्ड को लेकर घमासान जारी है।
एक ओर परंपरागत मखाना उत्पादक क्षेत्र दरभंगा-मधुबनी, तो दूसरी ओर पूर्णिया-कोसी-सीमांचल का बढ़ता वर्चस्व
केंद्र सरकार के फैसले का सभी को इंतजार, लेकिन राजनीतिक दांव-पेंच तेज हो चुके हैं

👉 क्या पूर्णिया मखाना हब बनेगा?
👉 या फिर दरभंगा को परंपरागत धरोहर का लाभ मिलेगा?

पूर्णिया और दरभंगा के बीच सीधी टक्कर बन गई है कि मखाना बोर्ड कहां बनेगा?

पूर्णिया की दावेदारी: कोसी-सीमांचल के किसान और नेता पूर्णिया को मखाना हब बनाने पर अड़े हैं।
दरभंगा की दावेदारी: जदयू नेता संजय झा समेत कई बड़े नेता दरभंगा को “पग-पग पोखर माछ मखान” की परंपरा के आधार पर मखाना हब बनाने की मांग कर रहे हैं।

पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने भरी हुंकार

“अगर मखाना बोर्ड पूर्णिया में नहीं बना, तो हम जनयुद्ध छेड़ देंगे!”
24 फरवरी को पूर्णिया में बंद का आह्वान किया गया, जहां प्रदर्शनकारियों ने “पूर्णिया मांगे मखाना बोर्ड” और “कोसी-सीमांचल की हकमारी के खिलाफ हल्ला बोल” के नारे लगाए।

क्या कहता है उत्पादन डेटा?
🔹 बिहार में 35,000 हेक्टेयर में मखाना की खेती होती है, जिसमें से 14,000 हेक्टेयर पूर्णिया और कटिहार में है।
🔹 दरभंगा-मधुबनी में मखाना उत्पादन पारंपरिक रूप से अधिक रहा है, लेकिन पिछले दशक में पूर्णिया बाजी मार रहा है।

केंद्रीय कृषि मंत्री के बयान से मचा बवाल

शिवराज सिंह चौहान ने दरभंगा में मखाना किसानों से मिलकर कहा कि मखाना बोर्ड किसानों की सलाह पर बनेगा। इसके बाद पूर्णिया के नेता भड़क गए।
🔹 हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की हालिया घोषणा ने दरभंगा और पूर्णिया के लोगों को बांट दिया है। स्थानीय राजनेता, कार्यकर्ता, किसान नेता, मीडिया घराने, व्यापारी से लेकर मखाना उद्यमी मंत्रियों को पत्र लिखकर अपनी राय देने लगे हैं।

➡️ पूर्णिया के नेता बोले:
“हम सबसे बड़े उत्पादक हैं, इसलिए बोर्ड यहीं बनना चाहिए।”

➡️ दरभंगा के नेता बोले:
“मिथिला की पहचान मखाना से है, इसलिए बोर्ड यहीं बनेगा।”

राजनीति से आगे, क्या है असली सवाल?

✅ क्या मखाना बोर्ड सिर्फ राजनीति का मुद्दा बनकर रह जाएगा?
✅ बिहार को मखाना प्रसंस्करण उद्योग में आगे बढ़ाने की असली योजना क्या है?
✅ केंद्र सरकार कब और कैसे मखाना बोर्ड का स्थान तय करेगी?
✅ हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है। बिहार में मखाना बोर्ड कहां बनेगा। यह मुद्दा राजनीतिक हो गया है। पूर्णिया और दरभंगा दोनों जगहों से मांग बढ़ रही है। सरकार जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेने जा रही है। क्योंकि यह चुनावी साल है।

क्या चुनावी मुद्दा बनेगा मखाना बोर्ड?

सूत्रों के मुताबिक, 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सरकार कोई जल्दबाजी में फैसला नहीं लेना चाहती। लेकिन अगर यह मुद्दा तूल पकड़ता है, तो दरभंगा बनाम पूर्णिया की लड़ाई चुनावी रंग ले सकती है।

📢 अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार के फैसले पर टिकी हैं!

आपके विचार? क्या मखाना बोर्ड पूर्णिया में बनना चाहिए या दरभंगा में?

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