आंचल कुमारी, दरभंगा देशज टाइम्स कमतौल ब्यूरो। देश में अकेला दरभंगा का त्रेता युग की पावन धरोहर अहल्यास्थान, जहां बैगन का भार चढ़ाने की आदिकाल से अनूठी परंपरा, मस्सा रोग से मुक्ति का रामवाण, देवी अहल्या के चरणों में बैगन का समर्पण।
नेपाल से भी हजारों श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं
रामनवमी (Ramnavami) के पावन अवसर पर दरभंगा (Darbhanga) के कमतौल स्थित अहल्यास्थान में श्रद्धालुओं का जबरदस्त जमावड़ा देखने को मिल रहा है। देश के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि नेपाल से भी हजारों श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु भगवती अहल्या को विशेष रूप से बैगन का भार (Baigan ka Bhar) समर्पित कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।
त्रेता युग से जुड़ी है अहल्यास्थान की पौराणिक महिमा
अहल्यास्थान से जुड़ी मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में प्रभु श्रीराम (Lord Ram) ने भाई लक्ष्मण (Laxman) के साथ जनकपुर जाते समय यहां महर्षि विश्वामित्र (Maharshi Vishwamitra) के निर्देश पर अपने चरण रज से महर्षि गौतम (Maharshi Gautam) के श्राप से शापित देवी अहल्या का उद्धार किया था।
अहल्यास्थान की पुजारन अवंतिका मिश्रा के मुताबिक
अहल्यास्थान की पुजारन अवंतिका मिश्रा के मुताबिक, देवी अहल्या को बैगन का भार समर्पित करने से जीवन में सुख-शांति मिलती है और मस्सा (warts) जैसे रोग का नाश होता है।
बैगन का भार समर्पण कर रहे हैं श्रद्धालु
रामनवमी के अवसर पर श्रद्धालु बैगन का भार समर्पित कर देवी का आशीर्वाद ले रहे हैं। माना जाता है कि इस अनोखी परंपरा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में समृद्धि आती है।
महत्वपूर्ण बातें:
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श्रद्धालु देवी अहल्या का दर्शन पूजन कर रहे हैं।
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हजारों की संख्या में भक्तों का आना जारी है।
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श्रद्धालु मेले में खरीदारी भी कर रहे हैं, जिससे स्थानीय बाजारों में भी रौनक है।
मेला और धार्मिक वातावरण से गुलजार हुआ कमतौल
अहल्यास्थान परिसर में रामनवमी के मौके पर बड़े पैमाने पर मेला भी लगा है। दर्शन पूजन के बाद श्रद्धालु मेले का आनंद ले रहे हैं। जगह-जगह भक्ति गीत, पूजा सामग्री, और स्थानीय व्यंजनों की दुकानें सजी हुई हैं।