Madhubani | मधुबनी सदर अस्पताल में पीकू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) का उद्घाटन 6 सितंबर 2024 को हुआ था, लेकिन चार महीने बीत जाने के बावजूद यहां इलाज शुरू नहीं हो सका है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस यूनिट को गंभीर रूप से बीमार बच्चों और किशोरों के इलाज के लिए बनाया गया था, लेकिन अभी भी बच्चों को दरभंगा या अन्य अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है।
🔹 पीकू यूनिट चालू होने से क्या होगा फायदा?
🏥 30 दिन से 18 वर्ष तक के बच्चों के इलाज की सुविधा
🛏️ बेहतर बेड और उपकरणों से लैस उपचार केंद्र
🚑 बच्चों को बाहर रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी
वर्तमान में सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में सिर्फ 0-29 दिन के बच्चों का इलाज किया जाता है, लेकिन वहां सिर्फ 17 बेड ही उपलब्ध हैं। ऐसे में बड़ी उम्र के बच्चों को बाहर रेफर करना पड़ता है। अगर पीकू यूनिट शुरू हो जाए तो गंभीर बीमार बच्चों और किशोरों को जिला से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
🔹 अस्पताल नहीं, बैठक हॉल बनकर रह गया पीकू यूनिट
📌 यूनिट का उपयोग स्वास्थ्य विभाग की बैठकों और ट्रेनिंग के लिए किया जा रहा है।
📌 हर दिन किसी न किसी प्रकार की बैठक या प्रशिक्षण सत्र इस भवन में होता रहता है।
📌 जिस उद्देश्य से यह यूनिट बना, वह पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया है।
🔹 अधिकारी क्या कहते हैं?
👉 सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने बताया कि विभाग से पत्राचार कर विशेषज्ञ डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों की मांग की गई है। जैसे ही पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध होगा, यूनिट को संचालित कर दिया जाएगा। उनका कहना है कि सदर अस्पताल को मेडिकल कॉलेज जैसी सुविधाएं देने की योजना पर काम किया जा रहा है।