मर गईं गाय…सिस्टम का खाता Inoperative….

जाले में अगलगी पीड़ित सुरेश दास की कौन सुनेगा, कब सुनेगा, बैंक से अब तक नहीं मिला मुआवजा, फंसी राशि, ना घर बचा, जीवन में छाया निराशा, अब अंचल प्रशासन से उम्मीद

➡️ शॉर्ट सर्किट से घर जलकर राख, दुधारू गाय भी झुलसी
➡️ सीओ ने 9,500 रुपये का चेक दिया, लेकिन बैंक खाते की केवाईसी न होने से भुगतान अटका
➡️ आर्थिक संकट से जूझ रहा परिवार, इलाज के अभाव में गाय की भी मौत

मुआवजे के लिए भटकते रहे सुरेश दास, बैंक में अटका पैसा

दरभंगा नगर परिषद जाले के वार्ड संख्या-5, भटपोखड़ा के निवासी सुरेश दास बीते पांच दिनों से बैंक के चक्कर काट रहे हैं। गाय मर गईं। घर का सामान नहीं बचा।लेकिन उन्हें अब तक मुआवजे की राशि नहीं मिल सकी। वजह यह जाले अंचल प्रशासन का बैंक अकाउंट ही अपडेट नहीं है।

कुछ महीने पहले शॉर्ट सर्किट की वजह से उनके घर में भीषण आग लग गई थी, जिसमें एक दुधारू गाय झुलस गई और घर का सारा सामान जलकर राख हो गया। इस अग्निकांड में चौकी, कुर्सी, टेबल, पंखा, 15,000 रुपये नकद, अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी जल गईं।

इस घटना के बाद सुरेश दास ने जाले सीओ को आवेदन देकर मुआवजे की मांग की थी, जिसके बाद 7 फरवरी को उन्हें 9,500 रुपये का चेक प्रदान किया गया। लेकिन 8 फरवरी को उनकी झुलसी हुई गाय की भी मौत हो गई

बैंक खाता इनऑपरेटिव, केवाईसी न होने से नहीं हो रही निकासी

जब सुरेश दास बैंक में चेक भुनाने पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि 2023 से जाले अंचल का खाता इनऑपरेटिव है। केवाईसी अपडेट नहीं होने के कारण निकासी संभव नहीं है

गंभीर आर्थिक संकट में फंसा परिवार

सुरेश दास का परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उनकी झुलसी हुई गाय का इलाज भी नहीं हो सका, जिससे गाय की मौत हो गईअब घर में आय का कोई साधन नहीं बचा

मजबूरी में उन्होंने जाले थाना में सनहा दर्ज कराया। जाले अंचलाधिकारी एवं कनीय विद्युत अभियंता को भी आवेदन दिया

सीओ ने दिया आश्वासन–जल्द मिलेगी राशि

जब इस मामले में जाले अंचलाधिकारी (सीओ) से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि खाते की केवाईसी प्रक्रिया पूरी की जा रही है, जिससे जल्द ही लाभुक को भुगतान किया जाएगा

अब सवाल यह उठता है कि अगर समय पर केवाईसी पूरी होती, तो क्या पीड़ित को इतनी परेशानी झेलनी पड़ती? प्रशासन को चाहिए कि आग लगने जैसी आपदा में राहत राशि सीधे पीड़ित के व्यक्तिगत खाते में भेजी जाए, ताकि उन्हें बैंकिंग जटिलताओं का सामना न करना पड़े

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