समस्तीपुर जिले के उजियारपुर में एक निजी नर्सिंग होम में इलाज के दौरान जच्चा और बच्चा की दर्दनाक मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया, लेकिन इससे पहले ही डॉक्टर और नर्सिंग होम संचालक मौके से फरार हो गए। यह घटना कई सवाल खड़े करती है—क्या निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी सही से हो रही है?
जानकारी के अनुसार, कल्याणपुर थाना क्षेत्र के बिरसिंहपुर गांव निवासी अमित कुमार की पत्नी रेणु कुमारी (24) को 8 फरवरी की रात उजियारपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में भर्ती कराया गया था। आशा वर्कर सुनीता देवी ने उसे सरकारी अस्पताल से ठीक सामने स्थित एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती करने की सलाह दी।
निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने का निर्णय लिया, लेकिन ऑपरेशन के तुरंत बाद नवजात की मृत्यु हो गई। महिला की हालत भी बिगड़ती चली गई और 11 फरवरी की सुबह उसकी भी मौत हो गई। जैसे ही इस घटना की सूचना परिजनों को मिली, उन्होंने नर्सिंग होम के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस बीच डॉक्टर और क्लिनिक संचालक फरार हो गए।
मामले को लेकर उजियारपुर थाना अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा कि अभी तक इस संबंध में कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं हुई है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ठीक सामने हंगामा हो रहा था, तब पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही थी?
यह घटना एक बार फिर निजी अस्पतालों की लापरवाही और सरकारी निगरानी की कमी को उजागर करती है। मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले ऐसे अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। क्या स्वास्थ्य विभाग इस मामले की जांच करेगा और दोषियों को सजा मिलेगी? यह सवाल अब भी बना हुआ है।