इकबाल राजा, कुमारखंड मधेपुरा
Madhepura:इस्लाम में रमजान के महीने को सबसे पाक महीना माना जाता है. रमजान के महीने में कुरान नाजिल हुआ था. माना जाता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं. अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वाले की दुआ कूबुल करता है और इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है.
मुसलमानों के लिए रमजान महीने की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इन्हीं दिनों पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के जरिए अल्लाह की अहम किताब ‘कुरान शरीफ’ (नाजिल) जमीन पर उतरी थी. इसलिए मुसलमान ज्यादातर वक्त इबादत-तिलावत (नमाज पढ़ना और कुरान पढ़ने) में गुजारते हैं. मुसलमान रमजान के महीने में गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान देते हैं। क्यों रखते हैं रोजा-पहले इंसान व पैग़म्बर हज़रत आदम(अलैहि॰)से लेकर आख़िरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) तक अनेक ईशदूत आए,जो हर क़ौम में भेजे गए थे।सभी ईशदूतों ने लोगों को उन्हीं की भाषा में रोजा(उपवास)के लिए ईश्वर का सन्देश दिया था।
क्या है तरावीह-रमजान के महीने में रात्रि में की जाने वाली अतिरिक्त नमाज़ (प्रार्थना) है।अरबी भाषा में इसका शाब्दिक अर्थ आराम और ठहरना है।रमज़ान के पवित्र माह के रात की नमाज़ के पश्चात पढ़ी जाने वाली सामूहिक नमाज़ को ठहर और आराम करके पढ़ा जाता है।इस लिए इस नमाज़ को तरावीह की नमाज़ कहते हैं।इसे महिलाएं अकेले घर पर पढ़ती हैं।
रोजा से लाभ-रमजान के पवित्र महीने में धार्मिक और चिकित्सकीय आधार से लाभ दायक है।मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए रोजा या व्रत जरुरी माना गया है।रोजा रखने से जहां रूहानी ताकत मिलती है तो वहीं कई गंभीर बीमारियों से भी निजात(मुक्ति)मिलती है।चिकित्सकों की मानें तो महीने में दो बार उपवास जरूर रखना चाहिए।रमजान के तीस रोजे रखकर इंसान रूहानी ताकतों से रूबरू होता है।साल भर खाने पीने वाली चीजों से पाचन की गड़बड़ी कैलोस्ट्राल का बढ़ना व इनके अलावा कई अन्य बीमारियां रोजा रखने से खत्म हो जाती हैं।
इससे मोटापा समेत शरीर की सूजन कम होती है,ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और वजन भी कम होता है।स्टडी के मुताबिक,फास्ट करने से शरीर की कोशिकाओं पर स्ट्रेस पड़ता है।इससे वजन कम होने में मदद मिलती है।
खजूर क्यों है जरूरी-रमजान में खजूर का खास महत्व होता है।रमजान में खजूर से रोजा खोलना सुन्नत है।खजूर से सेहत को बहुत फायदा पहुंचता है।इस से शरीर को एनर्जी मिलती है।इसमें मौजूद फाइबर से डाइजेशन बेहतर होता है।इसके साथ ही खजूर में पोटैशियम,मैग्नीशियम और विटामिन बी भी पाया जाता है,जो सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।कोलेस्ट्रोल में कमी-हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि रमजान के रोजे रखने से वजन कम होने के साथ-साथ शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर भी कम होता है।कोलेस्ट्रोल कम होने से दिल सेहतमंद रहता है।साथ ही हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों से सुरक्षित रहा जा सकता है।मेटाबॉलिज्म का बेहतह होना-रोजे के दौरान दिनभर भूखे प्यासे रहने से मेटाबॉलिज्म बेहतर तरीके से काम करने लगता है।इससे खाने के ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रिएंट्स शरीर को मिलते हैं। रमजान में लंबे समय तक भूखे रहने के बाद देर शाम खाने से शरीर में हार्मोन बनता है,ये शरीर को ज्यादा न्यूट्रिएंट्स एब्जोर्ब करने में मदद करता है।
नशे की लत से छुटकारा– नशा से छुटकारा पाने के लिए रमजान सबसे अच्छा समय होता है।रोजे रखने के बाद व्यक्ति धूम्रपान,तंबाकू,मीठी चीजों के सेवन से बचा रहता है।यू.के.नेशनल हेल्थ सर्विस केमुताबिक,धूम्रपान,अल्कोहल और तंबाकू की लत को दूर करने के लिए रमजान सबसे अच्छा समय है।