दरअसल स्वास्थ्य विभाग में आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन इसका समुचित लाभ मुंगेर के लोगों को नहीं मिल पा रहा है। 5 फरवरी को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुंगेर सदर अस्पताल परिसर में लगभग 32 करोड़ की लागत से बने 100 बेड के मॉडल अस्पताल का उद्घाटन तो कर दिया, लेकिन उद्घाटन के 15 दिन बाद भी अबतक यह अस्पताल मरीजों के लिए आरंभ नहीं हो पाया है। जबकि अलग-अलग जगहों पर इलाज और जांच के लिये अस्पताल परिसर में मरीजों को दौड़ लगाना पड़ता है। जिससे मरीज काफी परेशान हैं। वही उद्घाटन के बाद वैसे तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसमें पहले 12 बेड वाले इमरजेंसी सह आईसीयू वार्ड तथा ओपीडी वार्ड का संचालन आरंभ होना था, लेकिन उद्घाटन के 15 दिन बाद भी अबतक मॉडल अस्पताल में ना तो इमरजेंसी सेवा ही शुरू हो पाई है।
मुंगेर के सिविल सर्जन
और ना ही आईसीयू तथा ओपीडी सेवा ही आरंभ हो पायी है। वही इस मामले में मुंगेर के सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि बीएमआईसीएल द्वारा अबतक मॉडल अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर नहीं किया गया है। जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग अबतक मॉडल अस्पताल में सेवाएं आरंभ नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा कि हैंडओवर के बाद पहले इमरजेंसी तथा ओपीडी सेवा को शिफ्ट किया जाएगा। उसके बाद अन्य वार्डो को शिफ्ट किया जाएगा। वही बताते चलें कि 3 भवन वाले मॉडल अस्पताल का निर्माण ऐसा किया गया है कि एक ही भवन में मरीजों को सभी प्रकार की अत्याधुनिक सुविधा मिल जायेगी। लेकिन हैंडओवर के पेंच में मामला फंसने के कारण सदर अस्पताल में मरीजों को अपने इलाज और जांच के लिए एक जगह से दूसरे जगह दौड़ना पड़ रहा है। जबकि 100 बेड मॉडल अस्पताल मिलने के बावजूद भी मुंगेर सदर अस्पताल में मरीजों को अबतक पुराने और जर्जर भवन वाले वार्डों में इलाज कराना पड़ रहा है। जिस कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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