मुंगेर में पहली बार खादी मेला-सह-उद्यमी बाजार का भव्य आयोजन | बिहार सरकार की नई पहल

मुंगेर के पोलो मैदान में पहली बार बिहार राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, पटना एवं उद्योग विभाग, बिहार सरकार के सहयोग से खादी मेला-सह-उद्यमी बाजार का भव्य आयोजन किया गया है। इस मेले में बिहार के विभिन्न जिलों से आए 100 से अधिक बुनकरों और उद्यमियों ने अपने स्टॉल लगाए हैं, जहां खादी से जुड़े सभी प्रकार के वस्त्र और अन्य वस्तुएं उपलब्ध हैं। यह मेला 10 मार्च तक चलेगा, जिससे स्थानीय लोगों को खादी के महत्व और उसकी उत्कृष्टता को जानने का अवसर मिलेगा।

महात्मा गांधी और खादी का महत्व

महात्मा गांधी ने कहा था कि “देश के हर नागरिक को स्वावलंबी बनाना है तो उसे खादी से जुड़ना पड़ेगा।” स्वतंत्रता संग्राम के दौरान खादी ने स्वदेशी आंदोलन को बल दिया था, लेकिन समय के साथ लोगों ने इसे नजरअंदाज कर दिया और विदेशी एवं मशीन निर्मित कपड़ों को अपनाने लगे। अब बिहार सरकार खादी को पुनः पहचान दिलाने और इससे जुड़े उद्यमियों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। इसी उद्देश्य से राज्य के हर जिले में खादी मेलों का आयोजन किया जा रहा है।

खादी मेला में भाग ले रहे उद्यमी और उत्पाद

इस 12 दिवसीय खादी मेले में राज्यभर की 120 खादी एवं ग्रामोद्योग संस्थाओं ने भाग लिया है। मेले में विभिन्न योजनाओं से जुड़े स्टॉल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जैसे—

  1. खादी वस्त्र एवं ऊनी उत्पाद
  2. हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट वस्त्र
  3. हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण उत्पाद
  4. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना एवं पीएमईजीपी के तहत बने उत्पाद
  5. जीविका समूह द्वारा निर्मित उत्पाद

इस आयोजन में बिहार के विभिन्न जिलों से आए कारीगर और उद्यमी अपनी हस्तनिर्मित एवं आधुनिक उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री कर रहे हैं। ग्राहकों के बीच ये उत्पाद विशेष आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं।

नए उद्यमियों को मिल रहा अवसर

इस मेले में कई नवोदित उद्यमियों ने पहली बार अपने स्टॉल लगाए हैं। उन्होंने खादी, ऊनी वस्त्र, जैविक उत्पाद, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण उद्योगों के अनूठे उत्पादों का प्रदर्शन किया है। इससे उन्हें अपने उत्पादों को एक बड़ा बाजार देने और लोगों को खादी की ओर आकर्षित करने का अवसर मिल रहा है।

मुंगेर डीएम का बयान – ऐतिहासिक क्षण

मुंगेर के डीएम ने इस आयोजन को मुंगेर के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा, “यह पहली बार है जब इस तरह का खादी मेला आयोजित किया गया है। यह न केवल स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को एक बड़ा मंच देगा, बल्कि लोगों को खादी और बिहार के हस्तशिल्प उत्पादों की उत्कृष्टता से परिचित कराने का मौका भी देगा।”

खादी – सादगी और स्वावलंबन का प्रतीक

खादी सादगी का प्रतीक है और इसे बढ़ावा देना ही इस मेले का मुख्य उद्देश्य है। बिहार सरकार खादी और ग्रामोद्योग को नया जीवन देने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। मुख्यमंत्री के गांव नालंदा से आए उद्यमी उमा शंकर झा ने बताया कि उन्होंने अन्य जिलों में भी अपने स्टॉल लगाए हैं और खादी वस्त्रों को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा है।

निष्कर्ष

मुंगेर में आयोजित यह खादी मेला-सह-उद्यमी बाजार न केवल बिहार के कारीगरों और उद्यमियों को नए बाजार उपलब्ध कराने का एक प्रयास है, बल्कि स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और आम जनता को खादी की महत्ता समझाने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। ऐसे आयोजन स्थानीय उद्यमियों को सशक्त करने और खादी उद्योग को पुनः जीवंत बनाने में सहायक होंगे।

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