मुंगेर में बिजली विभाग ने भेजा एक लाख का बिल, नहीं जमा करने पर काट दिया कनेक्शन, पूरा परिवार बैठे अनशन पर जानिए

मुंगेर जिले में बिजली विभाग की मनमानी और अन्याय के खिलाफ एक परिवार ने अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह घटना मुंगेर किला परिसर स्थित शहीद स्मारक के पास घटी, जहां पीड़ित परिवार अपनी न्याय की मांग को लेकर धरने पर बैठ गया है। पीड़ित परिवार कासिम बाजार थाना क्षेत्र के लल्लू पोखर कंकड़ घाट निवासी लरणवीर सिंह का है, जो अपनी पत्नी रूणा देवी और बच्चों के साथ इस संघर्ष में शामिल हैं।

बिजली बिल की गड़बड़ी बनी अनशन का कारण

परिवार के अनुसार, जनवरी 2021 में उन्हें 15,000 रुपये का बिजली बिल भेजा गया, जबकि उनके घर में केवल तीन बल्ब और एक पंखा चलता है। जब उन्होंने इस बिल में सुधार करवाने के लिए बिजली विभाग के दफ्तर के चक्कर लगाए, तो किसी ने उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब वे लोक अदालत पहुंचे, लेकिन वहां भी बिजली विभाग ने उनकी समस्या का समाधान करने के बजाय अगले महीने 25,000 रुपये का नया बिल भेज दिया।

लोक अदालत का फैसला और विभाग की लापरवाही

जब मामला लोक अदालत में गया, तो बिजली विभाग के अधिकारी केवल एक बार पेश हुए। अदालत ने परिवार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिल भुगतान में राहत देने का निर्देश दिया, लेकिन इसके बावजूद चार वर्षों में बकाया राशि बढ़कर 1.05 लाख रुपये तक पहुंच गई। परिवार का कहना है कि बिजली विभाग ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करता रहा।

कनीय अभियंता ने की दुर्व्यवहार

सोमवार को बिजली विभाग के कनीय अभियंता प्रेम कांत और उनकी टीम ने पीड़ित परिवार के घर पहुंचकर दुर्व्यवहार किया और उनका बिजली कनेक्शन काट दिया। इस अन्याय के खिलाफ आक्रोशित परिवार ने न्याय की मांग करते हुए शहीद स्मारक के पास धरना शुरू कर दिया। खास बात यह है कि इस अनशन में लरणवीर सिंह की ढाई साल की बेटी दिव्यांशी और पांच साल की स्वीटी भी शामिल हैं।

न्याय मिलने तक अनशन जारी रहेगा

लरणवीर सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता, तब तक वे अपना अनशन समाप्त नहीं करेंगे। उनका आरोप है कि बिजली विभाग आम जनता को अनावश्यक रूप से परेशान कर रहा है और उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

स्थानीय प्रशासन की चुप्पी

इस पूरे मामले में स्थानीय प्रशासन और बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी बनी हुई है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक इस परिवार की मांगों की अनदेखी करता है और क्या उन्हें जल्द ही न्याय मिलेगा। इस बीच, स्थानीय लोग भी परिवार के समर्थन में आ सकते हैं और इस मुद्दे को और अधिक जोर दे सकते हैं।

 

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