मुंगेर में महासत्संग: श्री श्री रविशंकर जी का प्रवचन और दुर्लभ सोमनाथ शिवलिंग के दर्शन

आर्ट ऑफ लिविंग के तत्वावधान में मुंगेर के जमालपुर स्थित जेएसए ग्राउंड में एक भव्य महासत्संग का आयोजन किया जा रहा है। यह विशेष आयोजन 10 मार्च को दोपहर 11:00 बजे से 12:15 बजे तक संपन्न होगा। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर जी का प्रवचन एवं भजन संध्या होगी। यह आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि श्रीश्री रविशंकर जी पूरे बारह वर्षों के पश्चात बिहार आ रहे हैं, जिससे श्रद्धालुओं में उत्साह एवं उल्लास का वातावरण बना हुआ है।

दुर्लभ शिवलिंग का दर्शन: आध्यात्मिकता का दिव्य अवसर

इस महासत्संग के दौरान श्रद्धालुओं को एक और विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होगा। वे सोमनाथ के दुर्लभ शिवलिंग के दर्शन कर सकेंगे, जिसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह शिवलिंग हजारों वर्षों पुराना है और इसकी पवित्रता से जुड़े अनेक धार्मिक कथानक प्रचलित हैं।

शोभायात्रा: आयोजन की सफलता हेतु व्यापक प्रचार

इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आयोजन समिति के सदस्यों ने शुक्रवार की शाम एक भव्य शोभायात्रा निकाली। इस शोभायात्रा के दौरान समिति के सदस्य पूरे शहर में भ्रमण करते हुए लोगों को महासत्संग में भाग लेने के लिए आमंत्रित कर रहे थे। शोभायात्रा के दौरान पूरे शहर में भक्ति और श्रद्धा का माहौल बना रहा।

शोभायात्रा में प्रमुख हस्तियों की भागीदारी

इस भव्य शोभायात्रा में आर्ट ऑफ लिविंग के वरिष्ठ सदस्य और आयोजन समिति के महत्वपूर्ण पदाधिकारी उपस्थित थे। इनमें प्रमुख रूप से कार्यक्रम प्रभारी स्वामी अमृतानंद जी, आयोजन समिति के अध्यक्ष सौरभ निधि, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रतिनिधि प्रदीप कुमार, गणेश सुलतानिया, शीतल सुलतानिया, कविता सहित अन्य गणमान्य लोग सम्मिलित थे। इन सभी सदस्यों ने श्रद्धालुओं को महासत्संग का महत्व समझाया और अधिकाधिक लोगों को इसमें सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया।

सोमनाथ शिवलिंग का ऐतिहासिक महत्व

स्वामी अमृतानंद जी ने इस अवसर पर जानकारी दी कि लगभग एक हजार वर्ष पूर्व, मोहम्मद गजनी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर वहां के पवित्र शिवलिंग को खंडित कर दिया था। इस खंडित शिवलिंग को अग्निहोत्री ब्राह्मणों के वंशजों ने सुरक्षित रखा था और पीढ़ी दर पीढ़ी इसकी रक्षा की। लगभग सौ वर्ष पूर्व, अग्निहोत्री ब्राह्मणों के वंशजों ने इस शिवलिंग को कांची के शंकराचार्य को सौंप दिया था। उस समय शंकराचार्य ने आदेश दिया था कि यह शिवलिंग सौ वर्षों तक सुरक्षित रखा जाए और जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाए, तब इसे बंगलोर के एक महान संत को सौंप दिया जाए, जिनके नाम के साथ ‘शंकर’ जुड़ा हो।

श्रीश्री रविशंकर को सौंपा गया दुर्लभ शिवलिंग

जनवरी 25 को अग्निहोत्री ब्राह्मणों के वंशजों ने इस शिवलिंग को श्रीश्री रविशंकर जी को सौंप दिया। इसके पश्चात, स्वामी अमृतानंद जी इस शिवलिंग के साथ संपूर्ण भारत का भ्रमण कर रहे हैं और श्रद्धालुओं को इस दुर्लभ शिवलिंग के दर्शन करा रहे हैं। यह भारत के कोने-कोने में भक्तों को एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्रदान कर रहा है।

शिवलिंग की स्थापना: पवित्रता की पुनर्स्थापना

संपूर्ण भारत में भ्रमण करने के उपरांत, इस शिवलिंग को पुनः सोमनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा के पुनरुद्धार का भी प्रतीक है। इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए लाखों भक्त अत्यंत उत्साहित हैं।

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