मुंगेर के माधोडीह में ऐतिहासिक 1008 महारुद्र यज्ञ का आगाज़, भव्य शोभा शोभा यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

मुंगेर जिले के तारापुर प्रखंड अंतर्गत माधोडीह गांव में एक ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन की शुरुआत आज बड़े धूमधाम से हुई। यहां 11 दिवसीय 1008 महारुद्र यज्ञ का शुभारंभ किया गया, जो 26 अप्रैल तक चलेगा। यह आयोजन केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस आयोजन ने पूरे क्षेत्र में एक विशेष धार्मिक ऊर्जा का संचार कर दिया है।

कलश शोभायात्रा से हुआ शुभारंभ

इस विराट यज्ञ की शुरुआत एक भव्य कलश शोभायात्रा के साथ की गई। इस शोभायात्रा में लगभग 5100 महिलाओं और कन्याओं ने भाग लिया। सभी ने सिर पर कलश धारण कर पारंपरिक धार्मिक गीत गाते हुए शोभायात्रा को अद्वितीय और पवित्र स्वरूप प्रदान किया। यह शोभायात्रा तारापुर के प्राचीन उल्टा स्थान महादेव मंदिर से प्रारंभ होकर यज्ञ स्थल माधोडीह तक गई।

बिहार के इतिहास में पहली बार हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा

इस आयोजन को खास और ऐतिहासिक बनाने के लिए एक अनूठी पहल की गई। बिहार के इतिहास में पहली बार कलश शोभायात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराई गई। यह दृश्य इतना भव्य था कि उपस्थित लोगों की आंखें उस अद्भुत क्षण को देख मंत्रमुग्ध हो गईं।

पुष्पवर्षा की शुरुआत सबसे पहले माधोडीह स्थित महादेव मंदिर पर की गई। इसके बाद यह पुष्पवर्षा क्रमशः उच्चेश्वर नाथ महादेव देवघरा, रत्नेश्वर नाथ महादेव मंदिर रणगांव, तारेश्वर नाथ महादेव मंदिर उल्टा स्थान तारापुर, और तेलडीहा दुर्गा मंदिर हरिवंशपुर तक की गई। इसके अलावा कलश यात्रा के मार्ग में भी विभिन्न स्थानों पर पुष्पवर्षा की गई, जिससे पूरे मार्ग का वातावरण अत्यंत पावन और सुरम्य बन गया।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़

इस भव्य शोभायात्रा और यज्ञ के आयोजन को देखने और इसमें भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। चारों ओर से लोग दर्शन और भागीदारी के लिए आए। महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग – सभी ने इस आयोजन को बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ देखा और महसूस किया। जनसैलाब ऐसा था मानो पूरा क्षेत्र आस्था में डूब गया हो।

भोजपुरी लोकगायक शिवेश मिश्रा और देवी की प्रस्तुति

धार्मिक आयोजन के साथ-साथ सांस्कृतिक रंग भी इस आयोजन में देखने को मिला। मशहूर भोजपुरी लोकगायक शिवेश मिश्रा और लोकप्रिय गायिका देवी ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी, जिसने इस आयोजन को और भी भव्यता प्रदान की। उनकी मधुर आवाज़ और भक्ति गीतों ने न सिर्फ़ भक्तों को भाव-विभोर किया, बल्कि आयोजन की महत्ता को भी बढ़ा दिया।

धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का संगम

यह आयोजन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का उत्सव बन गया है। यज्ञ, कलश यात्रा, पुष्प वर्षा, लोक संगीत – इन सभी ने मिलकर इस आयोजन को अद्वितीय बना दिया है। इससे ना केवल धार्मिक आस्था को बल मिला है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत किया है।

स्थानीय प्रशासन और आयोजन समिति की भूमिका

इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में आयोजन समिति और स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी सराहनीय रही है। सुरक्षा, ट्रैफिक, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन पूरी तरह सक्रिय दिखा। आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पेयजल, प्रसाद वितरण, बैठने की व्यवस्था, और आपातकालीन सेवाओं का भी इंतजाम किया।

आस्था, उत्साह और उल्लास का संगम

मुंगेर के तारापुर में प्रारंभ हुआ यह 1008 महारुद्र यज्ञ सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आस्था, उत्साह और उल्लास का संगम बन गया है। इस आयोजन ने लोगों के मन में भक्ति की एक नई ऊर्जा जगाई है और पूरे इलाके को एक पावन पर्व जैसा अनुभव प्रदान किया है।

26 अप्रैल तक चलने वाले इस आयोजन से जुड़ी हर गतिविधि को लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ आत्मसात कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यज्ञ के अन्य धार्मिक अनुष्ठानों, भंडारों, सत्संगों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से यह आयोजन और भी ऐतिहासिक बन जाएगा।

 

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