मीडिया पर भरोसा घटा, सूचना की पहुंच बढ़ी: अमिताभ सिन्हा
पटना।। GTRI 5.0 में दुनिया भर में अपने कार्यों और अपने स्पेशल हुनर से धूम मचाने वाले बिहारियों के जमात के दूसरे दिन भी बातचीत का दौर चालू रहा. दूसरे दिन की शुरुआत “मुख्यधारा मीडिया, बिहार के लिए पक्षपाती चौथा स्तंभ” पर चर्चा हुई जिसमें पैनलिस्ट(विशेषज्ञ) के रूप में इंडियन एक्सप्रेस के उप संपादक अमिताभ सिन्हा और न्यूज 18 के बिहार और झारखंड के सम्पादक ब्रजमोहन सिंह शामिल हुए जिसमें फर्स्ट पोस्ट के ओपिनियन एडिटर ने मॉडरेटर की भूमिका निभाई.

इंडियन एक्सप्रेस के अमिताभ सिन्हा ने कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं, पूरे विश्व में मीडिया पर भरोसा घटा है. हालांकि, इसका कारण मीडिया में बदलाव नहीं, बल्कि सूचना के नए माध्यमों से लोगों तक ज्यादा जानकारी पहुंचना है, जिससे वे खुद सत्यता जांचने लगे हैं.

उन्होंने कहा कि आज मीडिया में ओपिनियन हावी है, लेकिन तथ्यों पर चर्चा कम हो रही है. लोग अपने विचारों से मेल खाते प्लेटफॉर्म से जुड़ रहे हैं, जिससे उन्हें वही सच लगता है.
सिन्हा ने माना कि मीडिया को अपनी भूमिका सुधारनी होगी, क्योंकि सब कुछ राजनीतिक प्रभाव से नहीं चलता. भारत में मीडिया की भूमिका अमेरिका की तुलना में संतुलित है, लेकिन एक लक्ष्मण रेखा जरूरी है, जिससे तथ्य और ओपिनियन के बीच संतुलन बना रहे.

“बिहार की छवि और माइंडसेट बदलने की जरूरत” – ब्रजमोहन सिंह
न्यूज 18 के ब्रजमोहन सिंह ने कहा कि बिहार को लेकर नेशनल मीडिया का नजरिया अब भी पुराना है. पहले अपराध और जाति आधारित खबरें हावी थीं, जबकि अब स्थिति बदल चुकी है. एनसीआरबी 2023 के अनुसार, बिहार अब क्राइम में 23वें स्थान पर है, लेकिन नकारात्मक छवि बनी हुई है. लाखों महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं, स्टार्टअप्स बढ़ रहे हैं, लेकिन मीडिया इन्हें जगह नहीं देता.
उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों के माइंडसेट में भी बदलाव जरूरी है. जहां अन्य राज्यों के ग्रेजुएट्स निजी नौकरियों की ओर बढ़ते हैं, वहीं बिहार में अब भी सरकारी नौकरी की लंबी तैयारी का ट्रेंड है. समाज को आगे बढ़ने के लिए इस सोच को बदलना होगा.
उन्होंने जोर दिया कि मीडिया को सिर्फ क्राइम और राजनीति नहीं, बल्कि स्टार्टअप्स और समाज में हो रहे सकारात्मक बदलावों को भी दिखाना चाहिए.
“बिहार में बदलाव के संकेत, परसेप्शन भी बदलेगा” – अमिताभ सिन्हा
इंडियन एक्सप्रेस के अमिताभ सिन्हा ने कहा कि उड़ीसा को एक दशक पहले तक गरीब राज्य माना जाता था, लेकिन आज उसका परसेप्शन बदल चुका है. बिहार में भी बदलाव हो रहे हैं, और इसकी छवि धीरे-धीरे बदल रही है.

उन्होंने कहा कि नालंदा में विकास कार्य, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और नए प्रोजेक्ट्स बिहार की छवि को नया रूप दे रहे हैं. राज्य में दो-तीन इंटरनेशनल टूर्नामेंट हो चुके हैं, जिन पर प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट किया, यह बदलाव के संकेत हैं. जब बिहार में ये ट्रेंड मजबूत होगा, तो मीडिया को भी अपनी कवरेज का नजरिया बदलना होगा.
सिन्हा ने कहा कि जैसे उड़ीसा और आंध्रप्रदेश ने मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया, जैसे यूपी में सड़कों और विकास परियोजनाओं ने राज्य की छवि बदली, वैसे ही बिहार में भी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स आने लगेंगी. जब यह प्रक्रिया तेज होगी, तो बिहार की पहचान भी बदल जाएगी.
“बिहार में संगठित अपराध खत्म, अब कनेक्टिविटी और विकास पर जोर”
ब्रजमोहन सिंह ने कहा; बिहार में अब संगठित अपराध नहीं है. घटनाएं होती हैं, लेकिन अपराधियों का बोलबाला और राजनीतिक संरक्षण पहले जैसा नहीं रहा. पहले जातीय संघर्ष, राजनीतिक हिंसा और सत्ता-प्रशासन संरक्षित गुंडागर्दी से न केवल जानमाल का नुकसान हुआ, बल्कि बिहार की छवि भी देशभर में धूमिल हुई.
मॉडरेटर उत्पल कुमार ने चर्चा के दौरान सवाल उठाया कि बिहार के लोग देश-विदेश में सफल हैं और खुद को बिहारी कहलाने में गर्व महसूस करते हैं, लेकिन वे बिहार के विकास में अपेक्षित योगदान नहीं दे पाते.
इस पर जवाब देते हुए कहा गया कि आने वाले दो-तीन सालों में बिहार में कनेक्टिविटी और बेहतर होगी. पूर्णिया, सोनपुर, गया समेत पांच नए एयरपोर्ट बन रहे हैं. गांव-गांव में बेहतरीन सड़कें बनी हैं, पिछले दस वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर में उल्लेखनीय विकास हुआ है. अब जरूरत है कि बिहार के युवा, जो बाहर रह रहे हैं, वे यहां बिजनेस-फ्रेंडली माहौल बनाने में योगदान दें, ताकि राज्य को नई आर्थिक दिशा मिल सके.
OP Pandey