न्यूज़ विज़न। बक्सर
मंगलवार को फाउंडेशन स्कूल द्वारा शहर के त्रिमुहानी स्थित गंगा ठोरा के संगम पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने गंगा जैसी नदियों, जलतंत्र, प्रकृति संरक्षण और इसके समस्याओं व समाधानों पर चर्चा की। गंगा नदी का भारतीय सभ्यता में विशेष महत्व है, जो हजारों वर्षों से भारतीय सभ्यता के भौतिक एवं आध्यात्मिक संपोषण का स्रोत रही है। यह करोड़ों लोगों के लिए एक जीवन रेखा है।
वैद्य प्रोफेसर जे पी सर ने छात्र छात्राओं को जानकारी देते हुए बताया कि गंगा नदी की गोद में जलवायु, उपयोगी भूमि, कृषि पद्धतियां, जैविक तंत्र के साथ मानव सभ्यता निवास करती हैं। सांस्कृतिक तौर पर इतना महत्व रखने के बावजूद आज हमारी गंगा नदी काफी प्रदूषित हो चुकी है और अत्यधिक पर्यावरणीय दबाव को झेल रही है। इसके पुनरुद्धार और प्रबंधन के लिए मानवीय प्रतिबद्धता और समावेशन आवश्यक है। यह संगम गोष्ठी नदी के संरक्षण हेतु सामूहिक सकारात्मक कार्रवाई और जन चेतना के जागरूकता हेतु छात्रों के शैक्षणिक पक्ष का हिस्सा है। गोष्ठी में शामिल होने वाले सभी छात्र गंगा जैसी नदियों, जनतंत्र, प्रकृति संरक्षण एवं इसके समस्या व समाधान हेतु गहन अन्वेषण समूह का हिस्सा हैं। गोष्ठी के दौरान, छात्रों ने गंगा ठोरा संगम के समक्ष खड़े होकर इसकी उपयोगिता, जैव विविधता, इसका हमारे जीवन में हस्तक्षेप, निर्भरता तथा इसके संकट को महसूस किया। वही उन्होंने छात्रों को गंगा किनारे मिलने वाली औषधीय पौधों की पहचान कराई।
नमामि गंगे के डीपीओ शैलेश राय ने छात्रों को बताया कि मनुष्य हमेशा रिसीवर मोड पर ही रह रहा जबकि हमें अपने संसाधनों के संरक्षण बचाव और संतुलित उपयोग पर ज्यादा ध्यान देना होगा। उप प्रधानाचार्य मनोज त्रिगुण ने बताया कि इस शैक्षणिक गोष्ठी के पीछे विद्यालय का उद्देश्य यह है, कि छात्रों को चर्चा और शोध में सक्रिय रूप से भाग लेकर सीखने की प्रक्रिया की मालिकता लेने के लिए प्रेरित कर सके, तथा उनके अंदर वैश्विक समस्याओं के निदान हेतु वकालत करने की क्षमता को विकसित कर नेतृत्व की योग्यता लाना है। छात्रों ने नदियों के महत्व, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और संरक्षण के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस कार्यक्रम में फाउंडेशन स्कूल के निदेशक प्रदीप मिश्रा, एकेडमिक एक्सीलेंस हेड एस के दूबे सर, शिक्षक अमित समेत छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।