श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के पांचवे दिन श्रद्धालुओं ने किया यज्ञ मंडप की परिक्रमा, जारी रहा सवा लाख हनुमान चालीसा पाठ 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

सदर प्रखंड के कम्हरिया लाढ़ोपुर में चल रहे श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के पांचवे दिन गंगा की गोद में बने यज्ञ मंडप का श्रद्धालुओं ने परिक्रमा कर पूजा अर्चना की और जिसके पश्चात कथा का श्रवण किये। परम पूज्य श्री 1008 गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने कहा कि सिद्धाश्रम बक्सर की धरती ऋषियों-मुनियों की तपोस्थली रही है। यही वजह है कि यहां पर यज्ञ आयोजन का क्रम नहीं टूटता। उन्होंने कहा कि भगवान और संतों से प्रेम करें। गुरु और संतों की सेवा करें। सभी कष्टों से उधार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि चरित्रवन जैसा दूसरा कोई वन नहीं जो आनंद दे। यहां महापुरूषों ने तप किया है। यही वजह है कि यहां अल्पकाल में तपस्या की सिद्धि पूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि सिद्धाश्रम बक्सर देवताओं के लिए दुर्लभ है।

 

कथा में महर्षि च्यवन ऋषि का हुआ का वर्णन

गंगापुत्र महाराज ने बक्सर के महात्म्य पर चर्चा करते हुए च्यवन ऋषि की कथा का वर्णन किया। कहा कि प्राचीन काल में भृगु नाम के महान ऋषि थे। उनकी पत्नी का नाम पुलोमा था। उनकी पत्नी पुलोमा गर्भवती थी। प्रमेला नाम का एक राक्षस शुकर का रूप धारण कर उन्हें जबरन उनके आश्रम से उठा ले गया। पुलोमा ने राक्षस से अपने को छुड़ाने का प्रयास किया, इसी दौरान उनका गर्भ च्यवित हो गया। उस च्यवित गर्भ से तेजस्वी बालक जन्म लिया। बालक का तेज इतना था कि उसे देखते ही राक्षस प्रलोमा जलकर भस्म हो गया। आश्रम में लौटकर माता-पिता ने बालक का नाम च्यवन रखा। आगे चलकर वह बालक अपने कर्तव्य कृति से महर्षि च्यवन ऋषि के नाम से प्रसिद्ध हुए। धर्म शास्त्रों के अनुसार उनका आश्रम चौसा में है और चौसा सिद्धाश्रम में।

 

वही गंगाधाम कम्हरिया में आयोजित महायज्ञ में सवा लाख हनुमान चालीसा का पाठ किया जा रहा है। वहीं अखंड हरिकीर्तन का आयोजन किया गया है। हनुमान चालीसा और और हरिकीर्तन में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। सभी श्रद्धालु भक्ति के सागर में गोता लगाते रहे।

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