न्यूज़ विज़न। बक्सर
महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करने और दुनियाभर में लैंगिक समानता की वकालत करने के लिए समर्पित अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर फाउंडेशन स्कूल बक्सर के परिसर में सेमिनार का आयोजन हूआ।
किसी समाज की प्रगति के बारे में सही-सही जानना है तो उस समाज की स्त्रियों की स्थिति के बारे में जानना होगा, विगत सप्ताह फाउंडेशन स्कूल बक्सर की कक्षा 8वीं और 9वी की छात्राओं ने शहर के उपेक्षित बस्तियों में दौरा कर महिलाओं की स्थिति, संघर्ष, समस्याओं तथा भूमिका एवं नारी सशक्तिकरण शब्द के वास्तविक अर्थ को साक्षात्कार किया और सिद्धांत से परे उनके महत्व को समझते हुए शोध किया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर छात्राओं ने अपने शोध और रिपोर्ट के साथ सभा में महिला सशक्तिकरण विषय पर अपनी मजबूत उपस्थिति को रखते हुए वार्ता का आयोजन किया। इस मौके पर नगर की चेयरपर्सन कमरुन निशा एवं साइबर थाना डीएसपी रजिया सुल्ताना मुख्य अतिथि के रूप में थी। मुख्य अतिथि कमरून निशा तथा रजिया सुल्ताना ने वास्तविक जीवन में सशक्तिकरण का उदाहरण देते हुए छात्राओं को प्रोत्साहित किया।
सोशल साइकोलोजिस्ट राजेश्वर सर ने बताया कि शिक्षा को रूपांतरकारी होना चाहिए, विद्यालय के निदेशक प्रदीप मिश्रा ने छात्राओं के शोधकार्यों को देखने कै उपरांत समाज के उपेक्षित और हाशिए पर खड़ी वर्ग के सशक्तिकरण हेतु ठोस समाधान पर निष्कर्ष दिए। प्रधानाचार्य विकास ओझा ने बताया कि महिला सशक्तिकरण और समानता का अधिकार केवल शब्द नहीं हैं; उनका एक गहरा अर्थ है जिसे केवल पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से समझना संभव नहीं है। यदि हम चाहते हैं कि आने वाली युवा पीढ़ी वास्तव में इन अवधारणाओं को समझे, तो हमें उन्हें जीवन की वास्तविकताओं के सामने लाना होगा। आज, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस विशेष अवसर पर, हम न केवल नारी शक्ति का सम्मान कर रहे हैं, बल्कि उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझने और समाधान तलाशने के संकल्प को भी दोहरा रहे हैं।
उपप्रधानाचार्य मनोज त्रिगुण ने बताया कि विद्यालय और एक जागरूक शिक्षक का यह कर्तव्य है कि वह अपने विद्यार्थियों को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रखे, बल्कि उन्हें समाज के प्रति संवेदनशील बनाए। जब हमारे बच्चे हाशिए पर रह रहे लोगों की परेशानियों को समझेंगे, तभी वे उनके लिए कुछ करने की प्रेरणा पाएंगे। शिक्षा केवल डिग्रियाँ प्राप्त करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह हमें एक अच्छा नागरिक बनाने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करने वाली होनी चाहिए। सेमिनार में शिक्षिकाओं ने अपने व्यक्तव्यों में बताया कि कोई समाज कितना मजबूत हो सकता है, इसका अंदाजा इस बात से इसलिए लगाया जा सकता है क्योंकि स्त्रियाँ किसी भी समाज की आधी आबादी हैं। बिना इन्हें साथ लिए कोई भी समाज अपनी संपूर्णता में बेहतर नहीं कर सकता है। आज अवसर है इसपर बात करने की।