एक ओर 820 करोड़ की योजनाएँ, दूसरी ओर एंबुलेंस के अभाव में ठेले पर मरीज?
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी प्रगति यात्रा के दौरान 820 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली ने एक बार फिर सरकारी व्यवस्था की पोल खोल दी। एक बीमार बुजुर्ग महिला को एंबुलेंस न मिलने के कारण ठेले पर लादकर अस्पताल लाना पड़ा।
यह मामला बिहारशरीफ नगर के बारादरी मोहल्ला का है। 60 वर्षीय हुसन खातून की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परेशान परिजनों ने तुरंत 102 आपात सेवा नंबर पर फोन किया। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जब कॉल रिसीव हुआ तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया गया कि आज सेवा उपलब्ध नहीं है। वहीं कारण पूछने पर कोई जानकारी नहीं दी गई।
बेबस परिजनों ने मोहल्ले के एक ठेला चालक की मदद ली और ठेले पर ही मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए मजबूर हो गए। जबकि मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर पूरे जिले का प्रशासन हाई अलर्ट पर था। लेकिन ज़रूरतमंदों को बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं मिल सकीं।
दुर्भागय की बात है कि नालंदा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल तब है, जब मुख्यमंत्री स्वयं इसी जिले से आते हैं। एंबुलेंस सेवा का असरदार संचालन नहीं होना और आपातकालीन सेवाओं का इस तरह ठप पड़ जाना न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि आखिर ये करोड़ों की योजनाएँ किसके लिए और किस हकीकत को छिपाने के लिए बनाई जा रही हैं?
प्रगति यात्रा की चकाचौंध में आमजन की दुर्दशा और सरकारी सेवाओं की खस्ता हालत एक कड़वी सच्चाई के रूप में उभरकर सामने आई है। सवाल यह उठता है कि क्या सरकार की योजनाएँ सिर्फ दिखावे तक सीमित हैं या ज़मीनी स्तर पर इनका कोई असर भी होगा?
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