बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए संविदा पर नियुक्त तथा बाहरी स्रोत (आउटसोर्स) से कार्यरत कर्मियों को स्कूल निरीक्षण के कार्य से पूरी तरह मुक्त कर दिया है। विभाग ने पाया कि इन कर्मियों द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट में व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा था।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक (बीईपी) और सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी (बीईपी) को ही निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। ये सभी अधिकारी प्रत्येक माह में कम-से-कम 25 विद्यालयों का औचक निरीक्षण करेंगे। विभाग ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि निरीक्षण रिपोर्ट जांच में गलत पाई गई तो संबंधित अधिकारी पर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
इस नए फैसले को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अपने पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि निरीक्षण की गुणवत्ता और उपयोगिता को बढ़ाने के लिए यह परिवर्तन किया गया है। क्योंकि संविदा अथवा आउटसोर्स कर्मियों द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट की समीक्षा में यह पाया गया कि वे अधिकांशतः फर्जी थीं।
स्थानीय जांच में इन कर्मियों की रिपोर्ट और वास्तविक स्थल की स्थिति में भारी अंतर पाया गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि निरीक्षण कार्य में सचेतता और संवेदनशीलता की कमी थी। इस कारण अब केवल अधिकृत पदाधिकारियों को ही निरीक्षण का अधिकार दिया गया है।
अब निरीक्षण की नई प्रक्रिया के तहत किन विद्यालयों का निरीक्षण किया जाना है, इसका निर्धारण ACS द्वारा किया जाएगा। निरीक्षण से एक दिन पहले रात 9 बजे संबंधित पदाधिकारी को मोबाइल पर विद्यालय की सूचना दी जाएगी। निरीक्षण के बाद रिपोर्ट को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
वहीं निरीक्षण की सूचना पूर्ण रूप से गोपनीय रखी जाएगी। पदाधिकारी बिना किसी को बताए औचक निरीक्षण करेंगे। किसी कारणवश निरीक्षण न करने पर पदाधिकारी को तुरंत अपर सचिव को सूचित करना होगा। निरीक्षण में पठन-पाठन, शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति, मध्याह्न भोजन, आधारभूत संरचना आदि की समीक्षा की जाएगी।
साथ ही शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के लिए एक विशेष निरीक्षण फॉर्मेट भी जारी किया है। इसमें हर एक कार्य के लिए अलग-अलग कॉलम बनाए गए हैं, जिनमें स्कूल से संबंधित विस्तृत जानकारी भरनी होगी। इस फॉर्मेट के आधार पर ही निरीक्षण रिपोर्ट तैयार होगी और इसे ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
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