बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पदस्थापन के लिए अब एक नया फार्मूला लागू किया गया है। यह कदम शिक्षकों की असमानता को दूर करने और छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। शिक्षा विभाग ने प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में शिक्षकों के पदस्थापन को लेकर नए मानक निर्धारित किए हैं। इससे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और समानता आएगी।
अब तक सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में कई अनियमितताएँ देखी जा रही थीं और इसका प्रमुख कारण था मानकों का अभाव। हालांकि शिक्षा के अधिकार के तहत छात्रों की संख्या के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान था। लेकिन इसका अनुपालन कभी भी सख्ती से नहीं किया गया। इस संदर्भ में अब शिक्षा विभाग ने प्राथमिक विद्यालयों के लिए नए मानक तय किए हैं।
नए मानक के अनुसार प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित न्यूनतम पांच शिक्षक और मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित न्यूनतम नौ शिक्षक होने चाहिए। इसके साथ ही प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों से 31 जनवरी तक आंकड़े भेजने के लिए कहा था। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यालयों में स्वीकृत शिक्षक बल के अनुसार शिक्षकों की संख्या में कोई कमी न हो।
नए मानक के तहत प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा पहली से पांचवीं तक 120 छात्रों पर चार शिक्षकों का होना अनिवार्य किया गया है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर छात्र को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके और शिक्षकों का दबाव भी कम होगा।
शिक्षा विभाग का यह उद्देश्य है कि शिक्षकों की सही संख्या के द्वारा शिक्षा का स्तर बेहतर हो और छात्रों को अधिकतम ध्यान और मार्गदर्शन मिल सके। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर होगा और छात्रों को बेहतर शिक्षा का लाभ मिलेगा।
यह नया कदम शिक्षा के अधिकार को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विभाग की ओर से इसे लागू करने के बाद यह देखा जाएगा कि शिक्षा के मानक को कितनी सख्ती से लागू किया जाता है और इसका वास्तविक प्रभाव क्या होता है।
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