बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। आगामी 4 मार्च को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाने की तैयारियाँ जोरों पर हैं। इस विशेष अवसर पर नालंदा जिले के कुल 6273 स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में 1 से 19 साल की आयु के 17.53 लाख बच्चों और किशोरों को कृमि नाशक दवा दी जाएगी।
इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, स्वास्थ्य विभाग और निजी स्कूलों के प्रतिनिधियों के साथ कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं। इन कार्यशालाओं में बच्चों को दवा देने की प्रक्रिया, कृमि संक्रमण के कारण होने वाले नुकसान और दवा की सही खुराक पर विशेष जानकारी दी जा रही है।
कृमि संक्रमण से बच्चों पर प्रभाव: पेट में कृमि होने से बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जिससे वे शारीरिक और मानसिक विकास में पिछड़ जाते हैं। ऐसे में कृमि नाशक दवा देना बेहद आवश्यक है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल में कम से कम दो बार यह दवा सभी बच्चों को दी जानी चाहिए। ताकि वे स्वस्थ रहें।
दवा वितरण का लक्ष्य: इस बार 3244 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 10.54 लाख बच्चों को दवा दी जाएगी। वहीं, 2443 सरकारी और 586 निजी स्कूलों में 6.98 लाख बच्चों और किशोरों को एलवेंडाजोल टैबलेट खिलाई जाएगी। 1 से 2 साल के बच्चों को आधी गोली का चूर्ण बनाकर पिलाई जाएगी। जबकि 2 से 3 साल के बच्चों को पूरी गोली का चूर्ण पानी के साथ दी जाएगी। 3 से 19 साल तक के बच्चों और किशोरों को चबाने वाली गोली दी जाएगी।
मॉक अप राउंड की तैयारी: जो बच्चे किसी कारणवश 4 मार्च को दवा नहीं ले पाएंगे। उनके लिए 7 मार्च को मॉक अप राउंड आयोजित किया जाएगा। इस विशेष अभियान के तहत छुटे हुए बच्चों को दवा खिलाई जाएगी ताकि कोई भी बच्चा कृमि संक्रमण से पीड़ित न रहे।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का यह अभियान बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ भविष्य की नींव रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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