राजगीर नगर परिषद में शामिल गांवों की बदहाली बरकरार, विकास से कोसों दूर ग्रामीण

राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर प्रखंड के पथरौरा पंचायत के कई गांवों को राजगीर नगर परिषद में शामिल कर दिया गया है। लेकिन यहां के निवासियों की दुर्दशा जस की तस बनी हुई है। एक साल से अधिक समय बीत चुका है, जब इन गांवों को नगर परिषद के दायरे में लाया गया था। लेकिन अब भी उन्हें न तो नगर परिषद की सुविधाएं मिल रही हैं और न ही पंचायत से कोई मदद।

पथरौरा पंचायत के 12 गांवों में से 7 गांव- नोनही, दुहैय सुहैय, पथरौरा, तिलैया, बरहरी, आजाद नगर और उदयपुर  नगर परिषद का हिस्सा बन चुके हैं। वहीं वसुऐन, कहटा, केसरी बिगहा, मंजेठा और चंदौरा अब भी पथरौरा पंचायत के तहत आते हैं। इसके बावजूद इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां के लोग सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं और न ही उन्हें पानी, सड़क या अन्य नागरिक सुविधाएं मिल रही हैं।

विशेष रूप से आजाद नगर की स्थिति बेहद गंभीर है। यहां लगभग 150 घर हैं और कुल आबादी लगभग 600 हैं। लेकिन गांव में न तो आंगनबाड़ी केंद्र है, न जनवितरण प्रणाली की दुकान, न सरकारी विद्यालय और न ही चापाकल जैसी जल आपूर्ति की सुविधा। गांव की सड़कें खस्ताहाल हैं और नालियों का निर्माण अब तक नहीं हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि मतदान केंद्र भी एक किलोमीटर दूर है। जिससे उन्हें को वोट डालने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

यहां बच्चों की शिक्षा की स्थिति और भी चिंताजनक है। गांव में कोई सरकारी विद्यालय नहीं होने के कारण बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो रही है। आर्थिक तंगी के चलते परिवार प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का नामांकन कराने में असमर्थ हैं। नतीजतन गांव के अधिकांश लोग अशिक्षित हैं और बच्चों का भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं की भी गंभीर कमी है। किसी भी आपात स्थिति में ग्रामीणों को छह किलोमीटर दूर अनुमंडलीय अस्पताल तक जाना पड़ता है, जो बेहद कठिन और समय लेने वाला है। सरकारी योजनाओं जैसे वृद्धावस्था पेंशन, दिव्यांग पेंशन, विधवा पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना और राशन जैसी सुविधाएं गांव के लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। गांव में शौचालयों का निर्माण भी अधूरा है। जिससे स्वच्छता की समस्या बनी हुई है।

बहरहाल यहां ग्रामीणों का जीवन बेहद कठिनाइयों से भरा हुआ है। वे मेहनत-मजदूरी करके किसी तरह अपना पेट पाल रहे हैं। लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी ने उनके जीवन को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है। अब ग्रामीण सरकार और प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उनके गांवों में भी जल्द से जल्द विकास कार्य किए जाएं। ताकि वे एक बेहतर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

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