बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत भरी खबर सामने आई है। शिक्षा विभाग ने पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और सामान्य कोटि की महिला उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम उत्तीर्ण अंक में 0.5 अंकों की कमी करने का निर्णय लिया है।
अब 150 अंकों की परीक्षा में इन श्रेणियों के उम्मीदवारों को उत्तीर्ण होने के लिए 82.5 के बजाय 82 अंक ही प्राप्त करने होंगे। शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार यह निर्णय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में लिया गया है।
शिक्षा विभाग के उपसचिव अमित कुमार पुष्पक की ओर से जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भागीरथ सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य मामलों में फैसला सुनाते हुए आरक्षित कोटि के परीक्षार्थियों के लिए अधिकतम 150 अंकों के 55 प्रतिशत को 82.5 से निकटतम 82 अंक करने का निर्देश दिया था।
इसके बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने इस आदेश पर विचार कर 10 जनवरी 2024 को एक पत्र जारी किया। जिसमें आरक्षित श्रेणी के परीक्षार्थियों को न्यूनतम 82 अंक पर उत्तीर्ण माने जाने का प्रावधान किया गया।
इस निर्णय से हजारों उम्मीदवारों को राहत मिलेगी। क्योंकि पहले न्यूनतम उत्तीर्णांक 82.5 होने के कारण अंकों के गणितीय समीकरण में कई परीक्षार्थी अपात्र हो जाते थे। अब इस संशोधन से उन उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा। जो महज 0.5 अंक की वजह से शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफल नहीं हो पाते थे।
शिक्षा विभाग ने इस संशोधन को 17 जून 2023 को जारी नियमावली के नियम पांच के तहत लागू किया है। जिससे विद्यालय शिक्षक पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। एनसीटीई की समय-समय पर जारी की जाने वाली शैक्षणिक और प्रशिक्षण योग्यता के अनुरूप ही यह फैसला लिया गया है।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला शिक्षक पात्रता परीक्षा को अधिक समावेशी बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे विशेष रूप से उन उम्मीदवारों को मदद मिलेगी। जो अंकों की गणना की तकनीकी वजहों से अपात्र घोषित हो जाते थे।
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