घी, मखाना और गुलाब जामुनः अमेरिका और कनाडा तक लहराया नालंदा डेयरी का परचम

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार की पहचान अब सिर्फ इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब इसके उत्पाद भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बना रहे हैं। इसी कड़ी में नालंदा डेयरी का घी, मखाना और गुलाब जामुन अब अमेरिका और कनाडा तक अपनी पहुंच बना चुका है।

नालंदा डेयरी में निर्मित सुधा ब्रांड का गाय का घी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात हो रहा है। भारतीय निर्यात परिषद द्वारा प्रमाणन मिलने के बाद पहली खेप के रूप में 48 लाख रुपये मूल्य के सुधा उत्पाद विदेश भेजे गए। इनमें सबसे अधिक मात्रा में घी शामिल था। जिसकी कुल कीमत 31.45 लाख रुपये और वजन 5700 किलोग्राम था। इसके अलावा 500 किलोग्राम मखाना (8.30 लाख रुपये) और 500 किलोग्राम गुलाब जामुन (8.25 लाख रुपये) भी अमेरिका और कनाडा भेजे गए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना से इस खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन उत्पादों को गुजरात के मुंद्रा पोर्ट और पश्चिम बंगाल के कोलकाता पोर्ट से समुद्री मार्ग के जरिए अमेरिका और कनाडा भेजा जा रहा है। यह पहली बार है, जब बिहार के डेयरी उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचे हैं। इससे पहले सुधा डेयरी के उत्पाद केवल देश के विभिन्न राज्यों में ही बेचे जाते थे। जिनमें कोलकाता, दिल्ली, राजस्थान और अन्य प्रमुख बाजार शामिल थे।

अब अमेरिका और कनाडा के लोग भी बिहार के मखाना, घी और गुलाब जामुन का स्वाद लेंगे। खास बात यह है कि नालंदा डेयरी से 1 किलो, 5 किलो और 10 किलो के पैक में घी को विशेष रूप से पैक किया गया है। ताकि यह अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों तक सही तरीके से पहुंचे और इसकी गुणवत्ता बनी रहे।

नालंदा डेयरी पूर्वोत्तर भारत की सबसे अत्याधुनिक तकनीक से लैस डेयरी है और अब पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुकी है। पहले यह अन्य डेयरी प्लांट्स पर निर्भर रहती थी।  लेकिन अब राज्य सरकार से दूध खरीदने का अधिकार मिलने के बाद यह स्वयं समितियों से दूध खरीदकर अलग-अलग उत्पाद तैयार कर रही है।

नालंदा डेयरी के प्लांट को चलाने के लिए 2 लाख लीटर दूध की आवश्यकता होती है। लेकिन फिलहाल यहां 5 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण किया जा रहा है। हर दिन 7 से 12 लाख लीटर तक दूध टैंकरों में स्टॉक करके रखा जाता है। ताकि किसी भी स्थिति में सप्लाई बनी रहे।

इस डेयरी को पहले ही भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रमाणन और उपभोक्ता संरक्षण के लिए लाइसेंस मिल चुका है। अब भारतीय निर्यात परिषद से भी निर्यात प्रमाणन की अनुमति मिल गई है। निर्यात निरीक्षण परिषद (EIC) यह सुनिश्चित करती है कि बाहर भेजे जा रहे उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।

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