बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) अनिल कुमार दास को अंततः सस्पेंड कर दिया गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें भ्रष्टाचार में लिप्त रहकर अवैध संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप में 16 मार्च को निलंबित कर दिया। विशेष निगरानी इकाई की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई। जिसमें बताया गया कि अनिल दास ने अपने सेवाकाल के दौरान 94,90,606 रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की थी।
इस कार्रवाई की मंजूरी राज्यपाल के आदेश पर दी गई और इसके लिए सरकार के अवर सचिव राजीव रंजन ने सस्पेंशन का आदेश जारी किया। निलंबन की अवधि में अनिल दास को गुजारा भत्ता दिया जाएगा। उनके खिलाफ निगरानी की छापेमारी के बाद से ही वे ड्यूटी कर रहे थे। जिसके कारण स्थानीय लोगों के बीच चर्चा तेज थी कि उन पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
बता दें कि विशेष निगरानी इकाई ने 7 मार्च को अनिल दास के अम्बेर-सुंदरगढ़ स्थित आवास पर सुबह से शाम तक करीब 10 घंटे लंबी छापेमारी की थी। इस दौरान उनके आवास से नगदी और भारी मात्रा में आभूषण बरामद हुए थे। छापेमारी के बाद निगरानी टीम उन्हें अपने साथ पटना ले गई। लेकिन अगले दिन वे फिर से बिहारशरीफ लौट आए और सामान्य रूप से अपनी ड्यूटी करने लगे।
इसके बाद से ही नागरिकों के बीच यह सवाल उठने लगे कि इतने बड़े भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त पदाधिकारी पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उनकी लगातार ड्यूटी करने से यह संदेह भी उभरने लगा कि उन्होंने भ्रष्टाचार से जुड़े साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश की होगी।
एक और दिलचस्प पहलू इस मामले का यह है कि डीटीओ अनिल दास की पत्नी जेवरों की शौकीन थीं और उनका फेसबुक अकाउंट जेवर लदी तस्वीरों से भरा हुआ था। निगरानी छापेमारी के कुछ दिनों के भीतर ही पदाधिकारी ने अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया। जिससे इस प्रकरण में और भी रहस्यमयी परतें जुड़ गईं है।
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