नगरनौसा (नाद संवाददाता)। नालंदा जिले में किसानों के लिए एक नई पहल की शुरुआत हो चुकी है। आधार कार्ड की तर्ज पर अब किसानों को भी यूनिक फार्मर आईडी (Unique Farmer ID) प्रदान की जाएगी। यह कार्य 11 अप्रैल 2025 से नालंदा जिले में शुरू हो गया है।
बताया जाता है कि इस अभियान के पहले दिन कुल 23 किसानों का फार्मर आईडी रजिस्ट्रेशन किया गया। इस पहल का उद्देश्य किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से उपलब्ध कराना और उनकी खेती से जुड़ी सभी जानकारियों को डिजिटल रूप में एक जगह संग्रहित करना है।
कृषि विभाग ने इस वित्तीय वर्ष से अपनी विभिन्न योजनाओं जैसे किसान सम्मान निधि, बीज अनुदान, प्रत्यक्षण और सहकारिता की फसल सहायता अनुदान का लाभ लेने के लिए फार्मर आईडी को अनिवार्य कर दिया है। इस यूनिक आईडी के माध्यम से किसानों की भूमि, पशु संसाधन, खेती का आच्छादन और अन्य महत्वपूर्ण विवरण एक क्लिक में उपलब्ध होंगे।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि बार-बार ई-केवाईसी की प्रक्रिया से किसानों को छुटकारा मिलेगा। यह आईडी आधार कार्ड की तरह स्थायी और यूनिक होगी। जिससे किसानों की पहचान और उनके डेटा का डिजिटल प्रबंधन संभव हो सकेगा।
जिले के सभी 20 प्रखंडों में दो-दो राजस्व ग्रामों को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। इन ग्रामों में फार्मर आईडी बनाने का कार्य कृषि समन्वयक, एटीएम, बीटीएम और राजस्व कर्मचारियों की देखरेख में किया जा रहा है। प्रथम चरण में निम्नलिखित प्रखंडों और ग्रामों को शामिल किया गया है-
अस्थावा प्रखंड: अस्थावा, जाना।
बेन प्रखंड: बेन, बाड़ा।
बिहारशरीफ प्रखंड: पावा, पचौरी।
बिंद प्रखंड: बिंद, नौरंगा।
चंडी प्रखंड: माधोपुर, बढ़ौना।
एकंगरसराय प्रखंड: एकंगरडीह, औंगारी।
गिरियक प्रखंड: चौरसुआ, सतोआ।
हरनौत प्रखंड: बाराह, चेरो।
हिलसा प्रखंड: कपसियामा, जूनियर।
इस्लामपुर प्रखंड: रानीपुर, ढकवाहा।
करायपरशुराय प्रखंड: कराई, पकड़ी।
कतरीसराय प्रखंड: मैंराबारीडीह, बिलारी।
नगरनौसा प्रखंड: नगरनौसा, कैला।
नूरसराय प्रखंड: बारा खुर्द, बड़ारा।
परवलपुर प्रखंड: सोनचारी, मैई।
रहुई प्रखंड: बारानंदी, हवनपुरा।
राजगीर प्रखंड: गोरॉर, नाहुब।
सरमेरा प्रखंड: सरमेरा, ईशुआ।
सिलाव प्रखंड: घोसतावा, गोरावा।
थरथरी प्रखंड: अस्ता, छारीयारी।
फार्मर आईडी बनवाने के लिए किसानों को आधार कार्ड, आधार से लिंक मोबाइल नंबर, जमीन की जमाबंदी की अद्यतन रसीद दस्तावेज शिविर में लाने होंगे। इन दस्तावेजों के आधार पर किसानों का डेटा एग्रीस्टेक परियोजना के तहत दर्ज किया जाएगा। ताकि कोई भी किसान सरकारी योजनाओं से वंचित न रहे। डेटाबेस में किसान का नाम, पिता का नाम, स्वामित्व वाली जमीन का खाता और खेसरा, मोबाइल नंबर और आधार नंबर शामिल होंगे।
जिला कृषि पदाधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि फार्मर आईडी के जरिए एक क्लिक में किसान का पूरा प्रोफाइल उपलब्ध हो जाएगा। इससे न केवल सस्ता ऋण, कृषि इनपुट और विशिष्ट सलाह प्राप्त करना आसान होगा, बल्कि किसानों को अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में भी मदद मिलेगी। अब खसरा और खतियान जैसे दस्तावेज बार-बार जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फार्मर आईडी नंबर डालते ही खेत और खेती से जुड़ी सारी जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध होगी।
फार्मर आईडी न केवल किसानों की पहचान को मजबूत करेगी, बल्कि उनके डेटा को व्यवस्थित कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। नालंदा जिले में शुरू हुआ यह पायलट प्रोजेक्ट भविष्य में पूरे राज्य और देश में किसानों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। जैसे-जैसे यह योजना आगे बढ़ेगी। किसानों को अपनी खेती और योजनाओं से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करने में और अधिक सुविधा होगी।
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