कंबोडिया की महारानी ने नालंदा खंडहर में की भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना

कंबोडिया की महारानी डा. पिच चनमोय की यह यात्रा भारत और कंबोडिया के बीच प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों की जीवंतता को पुनर्जीवित करने का प्रतीक है। नालंदा और वेणुवन जैसे स्थलों पर उनकी उपस्थिति ने इन स्थलों के महत्व को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दी है…

राजगीर (नालंदा दर्पण)। कंबोडिया के राष्ट्रपति की पत्नी और महारानी डा. पिच चनमोय हुन मनेट ने अपने कैबिनेट शिष्टमंडल के साथ बोधगया से नालंदा तक की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने राजगीर स्थित वेणुवन और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष परिसर का भ्रमण किया। नालंदा खंडहर में भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना करते हुए महारानी ने इसे अत्यंत सुखद अनुभव बताया और विश्व शांति की कामना की।

महारानी डा. पिच चनमोय ने कहा कि भारत और कंबोडिया के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध प्राचीन काल से हैं। उन्होंने इन संबंधों को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। नालंदा खंडहर का अवलोकन करते समय उन्होंने स्थानीय गाइड से इसके ऐतिहासिक महत्व और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की समृद्ध परंपरा के बारे में जानकारी ली।

महारानी और उनके कैबिनेट शिष्टमंडल के आगमन पर जिला प्रशासन द्वारा मुख्य मार्ग और नालंदा खंडहर के आसपास सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे। शिष्टमंडल को व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के साथ परिसर का भ्रमण कराया गया। उनकी यात्रा को स्मरणीय बनाने के लिए प्रशासन ने हर संभव प्रयास किया।

नालंदा यात्रा से पहले महारानी ने राजगीर वेणुवन का दौरा किया। यहां उन्होंने बौद्ध परंपरा के अनुसार भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष बैठकर पूजा अर्चना की और नमन किया। इसके बाद उन्होंने वेणुवन का भ्रमण कर भगवान बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों को जाना।

महारानी और उनके शिष्टमंडल ने भारत में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों के दर्शन को बेहद संतोषजनक बताया। उन्होंने कहा कि इन स्थलों की यात्रा से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध और मजबूत होंगे।

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