Pawapuri Jal Mandir : जानें भगवान महावीर के गूढ़ रहस्य, कैसे बना 84 बीघा सरोवर

पावापुरी जल मंदिर (Pawapuri Jal Mandir) का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं है, बल्कि यह एक पर्यटन स्थल के रूप में भी लोकप्रिय हो चुका है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं, जो इस स्थान की दिव्यता और शांति का अनुभव करते हैं…

पावापुरी (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा जिले में स्थित पावापुरी जल मंदिर (Pawapuri Jal Mandir) जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने अपना पहला और अंतिम उपदेश दिया था और यहीं पर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

भगवान महावीर ने यहां अहिंसा एवं जिओ और जीने दो का संदेश दिया था। जिसे जैन धर्म के अनुयायी आज भी अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाते हैं। पावापुरी का जल मंदिर विशेष रूप से आकर्षक है, क्योंकि यह स्थल भगवान महावीर के अंतिम संस्कार के बाद एक जल सरोवर में बदल गया।

यह सरोवर चौरासी बीघा जमीन में फैला हुआ है, जहां आपको हमेशा कमल के लाल-लाल फूलों से भरा हुआ दृश्य देखने को मिलेगा। इस सरोवर के बीच स्थित भव्य मंदिर में भगवान महावीर की चरण पादुका रखी हुई है, जो इस स्थान की पवित्रता को और भी बढ़ाती है।

आज यह स्थल न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है। पावापुरी जल मंदिर के आसपास स्थित खूबसूरत सरोवर में खिलते लाल कमल के फूल और शांत वातावरण हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इस सरोवर के बीच में स्थित भगवान महावीर का मंदिर संगमरमर से बना एक भव्य निर्माण है। यह सदियों पुरानी जैन वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करता है।

कहा जाता है कि पावापुरी में भगवान महावीर के अंतिम संस्कार के बाद लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचे थे। उस समय श्रद्धालु भगवान महावीर की राख लेने आए थे और इतनी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे कि जब राख खत्म हो गई तो लोग वहां की मिट्टी लेकर जाने लगे। इस दौरान इतनी बड़ी मात्रा में मिट्टी उठाई गई कि जल के स्रोत से एक सरोवर का निर्माण हुआ, जो आज पावापुरी जल मंदिर सरोवर के रूप में प्रचलित है।

भगवान महावीर का महापरिनिर्वाण दीपावली के दिन हुआ था और जैन धर्म के अनुयायी इस दिन को विशेष श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। यहां का जल मंदिर एक अद्भुत स्थल है। यहां हर श्रद्धालु को शांति और दिव्यता का एहसास होता है।

पावापुरी का आकर्षण न सिर्फ जैन धर्म के अनुयायियों को, बल्कि हर धर्म के लोगों को खींचता है। इसका सौंदर्य और शांति देखकर यहां आने वाले पर्यटक भी इस जगह से जुड़ी धार्मिक महत्वता को महसूस करते हैं। जल मंदिर की स्थापत्य कला और वास्तुकला बेजोड़ है और यह चांदनी रातों में और भी अधिक खूबसूरत दिखता है।

यह स्थल बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित है। पावापुरी में आने के लिए पर्यटक रेल, बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन पावापुरी है। हालांकि यहां सुविधाएं अभी सीमित हैं। सबसे नजदीकी बड़ा स्टेशन राजगीर और बिहारशरीफ है, जो पावापुरी के करीब है।

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