बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। पटना-नालंदा जिला सीमा पर हरनौत से सटे गांव घांघ सरैया में एक नीम का पेड़ अचानक चर्चा का विषय बन गया है। ग्रामीणों ने देखा कि इस पेड़ का धड़ फट गया और उससे सफेद तरल पदार्थ रिसने लगा। जब उत्सुकतावश कुछ युवकों ने उस तरल को चखा तो उन्होंने पाया कि उसका स्वाद मीठा था।
इस घटना को दैवीय कृपा मानते हुए ग्रामीणों ने पेड़ की पूजा-अर्चना शुरू कर दी। धार्मिक गाने बजाए जाने लगे, रात में रोशनी की व्यवस्था की गई और हवन भी आरंभ कर दिया गया। इसके अलावा लोगों ने चढ़ावा चढ़ाने के लिए दान पेटी भी रख दी।
ग्रामीणों के अनुसार पेड़ में जमीन से करीब सात फीट ऊपर धड़ से सफेद तरल पदार्थ रिसना शुरू हुआ। अगले दिन भी यह प्रक्रिया जारी रही। जिससे लोगों का ध्यान इस पर गया। लोगों ने जब इसे चखा तो इसका स्वाद मीठा लगा। जिसे माता दुर्गा का आशीर्वाद समझकर पूजा शुरू कर दी गई।
हालांकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि एक सामान्य रासायनिक प्रक्रिया है। उनका कहना है कि किसी भी पेड़ में दो प्रकार के टिश्यू होते हैं-जायलम और फ्लोइम। जायलम का कार्य जड़ों से पानी को पत्तियों तक पहुंचाना होता है। जबकि फ्लोइम पत्तियों से जड़ों तक भोजन पहुंचाता है। पेड़ के कटने या फटने से जायलम की वजह से इस तरह का तरल पदार्थ निकलने लगता है।
विशेषज्ञों के अनुसार पेड़ की अधिक उम्र होने पर भी ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। यह तरल पेड़ का भोजन भी हो सकता है। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पत्तियां अपने रंध्रों से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करती हैं और जड़ से खनिज लवण लेकर पेड़ के लिए भोजन तैयार करती हैं। इस प्रक्रिया के कारण कई बार ऐसा तरल पदार्थ निकल सकता है। जो लोगों को चमत्कारी प्रतीत होता है।
बहरहाल, इस घटना को लेकर गांव में उत्सुकता और भक्ति का माहौल बना हुआ है। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया मानी जा रही है।
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